कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान- कुं गोविन्द चारण झणकली
कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान। जागो देवी की संतान……….२ उदित हुई थी शिव-शक्ति की जो परम्परा। ज्ञान-पूँज से धन्य हुई सदियो वसुन्धरा।। आओ फिर से सजग करे कौमी वरदान। जागो देवी की संतान……….. २ रजवाड़ो की अलबेली रीतो मे शान हमारी गूंजती। सता के गलियारो मे अन्यायी शिराए थी …