April 2, 2023

छंद – हरीगीत – रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी.

छंद=हरीगीत *चल छोड दे अब छोड दे तुं वृथा चिंता छोड दे.* *ताहरे अधीन है कर्म तो तुं कर्म नाता जोड दे.* *होनी हरीवर हाथ रखियो सकल फिर जंजाळ है.* *ईश्र्वर चरण ग्रह ललीत मनवा अवर माया जाळ है.* *अब चल पुरानी़ प्रगट ज्योती लक्ष पर तुही ध्यान दे.* *पारस …

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छंद – नराच – रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – नराच *जळाहळा जळाहळा प्रचंड तेज पुंज हो.* *निशा विडार भंज घोर आपही अखंड हो.* *प्रमाद खंड खंडना प्रभो अखंड आप हो.* *नभोमणी प्रभाकरा दिवाकरा प्रणाम हो.* *ग्रहा भुपाळ हे कृपाळ व्योम विंद वेद हो.* *त्रयोवृता तपोधनी महा महीम मान हो.* *रसो प्रवाह मंजुला रसाधिराज राज हो* *नभोमणी प्रभाकरा …

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छंद – झुलणा, रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी (कविराज लागीदासजी मेहडू, व्रजमालजी मेहडू ओर कानदासजी मेहडू,

छंद – झुलणा शूंढाळा सांयजे गणाधिपति गुणपति, विघ्न सब हरीजे सुणो हेला.* करा हूं आरदा शारदा सरसती, अब्द नी ल्हांणी दियो पेला. राज कविराज ना आज जश भाखवा, रसण पर आवियो जोगमाया. काव्य ना धोध ने शब्द ना वारिधी, चौ तरफ चारणी छंद गाया. पद्य ने गद्य ना महा रस …

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