March 29, 2023

डिंगल धावां डोकरी, मधुकर पावां मोज- कवि मधुकरजी माड़वा

डिंगल धावां डोकरी , मधुकर पावां मोज । गावां करनल गीतड़ा , रंग बरसावां रोज । शिव सरसावां हित सकव , चरण पुजावां चित्त। पावां प्रीत परमेश्वरा नमण करावां नीत्त । आडा बोलै आकरा , जाडा कै नर जन्न । हाडा ज्यु अनहाकरा , मधुकर बाडा मन्न। अलगा राखै ईशरी …

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भमर भज लज भगवती, अज कर अरज अनूप- कवि मधुकरजी माड़वा

भमर भज लज भगवती , अज कर अरज अनूप । कज सरज घर करनला , सज धर आद सरूप ।(1) सुख करणी किजै सदा , धरणी उठ धावीस । मुणी सितम्बर मधुकरा , बणि तारिक बावीस ।(2) शैल पुत्री एकम सेवी , ब्रह्म चारणी बीज । नव रुपां निरधारणी , …

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हर हर उठत हमेश रो, कर कर समरण कथ्थ- कवि मधुकरजी जैसलमेर

हर हर उठत हमेश रो , कर कर समरण कथ्थ । भर भर करनल भावना , मधुकर शुध मन मथ्थ । कै नितरा कोगत करै , ऐ मधुकर मन अंध । लै शरणो मुढ लोवड़ी , वै शिव जोड़ सवंद। शिवम सगत भज रै सदा , सुकरत मधुकर सज्ज । …

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जय जांगल धर जोगणी, शिर धर करू सलाम- मधुकरजी माड़वा

जय जांगल धर जोगणी , शिर धर करू सलाम । मधुकर समरो मावड़ी , नित लो शिव रो नाम । शिव भाल मधूकर सदा , कै करणी किरपाल । जाल आल टालण जिकै , काल तण महाकाल । शंकर नित सेवा सजे , भजे  ज चित भगवान । कजे सु  …

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सज अंध मन सवार रो, धज बंध भगति धार- कवि मधुकरजी माड़वा

सज अंध मन सवार रो , धज बंध भगति धार । कज सुख कंध भज मधुकरा, पज फंध हर कर पार । भजत शिव कवी भँमरिया , छजत छंद छनकार । सजत किरत करनल सगत , दजत सुनत दरकार । मोद मती कर मधुकरा , बोद गती विसतार । ओद …

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चारण महा पर्व कवित मधुकरजी माड़वा जैसलमेर।

चारण महा पर्व कवित मधुकरजी माड़वा जैसलमेर। नवलाख शक्ती का, धाम जुदै जुदै धरा, शिव जुगती जो वाम, नाम निरखाया है। तकत तैमड़ो धाम, महा दैशांणो मुकाम, सैणला जुढियै सुवा, गाम सरसाया है। खोड़ियार खमकारा, सोनल मढड़ै सारा, गुजराती गुणकारा, गढवी गुणाया है। चारण बड़ा आचारा, साच तप शंस्कारा, करणी …

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गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा जैसलमेर

गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा जैसलमेर बिसारे गहू …

गहू माता भगवान कृष्ण ओर करणी माता को बहुत प्रिय रही लेकिन आज कल लोग लोभ के कारण भेड़ बकरी तो घर में रखते है ओर गहू माता का तिरसकार करतै है एसे लोगां को प्रभु सदबुधी देणा इसि विषय के दोहै सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा जैसलमेर Read More

पाप बध्यो अण माप इला पर, लाप अलाप हरै भुजलम्बा- कवि मधुकरजी माड़वा जैसलमेर

पाप बध्यो अण माप इला पर, लाप अलाप हरै भुजलम्बा। ताप संताप निवार तिका जप, जाप करै उठता जगतम्बा। वाप विलाप सुणो हम वेदन, माप सरै किम होत विलम्बा। काप सबां दुख दाप मधूकर, आप धरै धणियाप माँ अम्बा। सेवा मेरी स्वीकार शनीसर, सार शंशार सखा शुभकारी। देवा जेरी दरबार …

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पुर्व संध्या में यह काव्य श्री चरणां में सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा हाल जेसलमेर।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पुर्व संध्या में यह काव्य श्री चरणां में सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा हाल जेसलमेर। अष्टम अज इला ऊपरां, कष्टम हरि जज काप। भष्टम हथ कज भमरा, पष्टम पथ तज पाप। आज ओही दिन है इल ऊपर, माधव को जन्मोत्सव मनानी। भादव मास अंधार लो भू …

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पुर्व संध्या में यह काव्य श्री चरणां में सादर निजर- कवि मधुकर माड़वा हाल जेसलमेर। Read More

आज एक ग्रुप में राम जी री पिढी री पोस्ट आई तो चालिस पिढी तक रा वर्णण कवित कोई भूल होतो अवगत करावै– मधुकरजी माड़वा

आज एक ग्रुप में राम जी री पिढी री पोस्ट आई तो चालिस पिढी तक रा वर्णण कवित कोई भूल होतो अवगत करावै– मधुकरजी माड़वा ब्रह्मा के मरिची बेटै, मरिची कश्यप मुणां, कश्यप के पूत, विस्ववान कहलायै है। विस्ववान के वेवत्स ,वेवत्स इक्षाकु बणै, वीर महा नगर वो, अहोध्या बसायै …

आज एक ग्रुप में राम जी री पिढी री पोस्ट आई तो चालिस पिढी तक रा वर्णण कवित कोई भूल होतो अवगत करावै– मधुकरजी माड़वा Read More
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