श्री करणी जी रौ छन्द – भंवरदानजी (झनकली)
मन मंदिर रा मावड़ी, करणी खोल कपाट। सुंदर रचना कर सकूं, वरणी रूप विराट।। छंद जात लीलावती तो आदि अहुकारण सकल उपासण मान वधारो जोगमया। पंचों तंत सारे त्रिगुण पसारे थिर धारा ब्राहमंड थया। नखतर निहारिका नेम नचाया ध्रुव गगन गंगा धरणी। नित नमस्कार नवलाख निरंतर करणी करणी जय करणी …