कानदासजी मेहडू कृत हनुमान वंदना
दोहा सुरस्वती उजळ अती, वळि उजळी वाण। करु प्रणाम जुगति कर, बाळाजती बखाण॥1॥ अंश रुद्र अगियारमो, समरथ पुत्र समीर। नीर निधि पर तीर नट,कुदि गयो क्षण वीर॥2॥ खावण द्रोणाचळ खमै, समै न धारण शंक। वाळण सुध सीता वळै, लिवि प्रजाळै लंक॥3॥ पंचवटी वन पालटी, सीत हरण शोधंत। अपरम शंके धाहियो, …