Category: सीख
राज बदळियां के होसी
कांई फरक पड़ै कै राज किण रो है ? राजा कुण है अर ताज किण रो है ? फरक चाह्वो तो राज नीं काज बदळो ! अर भळै काज रो आगाज नै अंदाज बदळो ! फकत आगाज’र अंदाज ई नीं उणरो परवाज बदळो ! आप – आप रा साज बदळो …
चुनौतियों के चक्रव्यूह में फंसे आज के विद्यार्थी एवं अभिभावक
यह चिरंतन सत्य है कि समय निरंतर गतिमान है और समय की गति के साथ सृष्टि के प्राणियों का गहन रिश्ता रहता है। सांसारिक प्राणियों में मानव सबसे विवेकशील होने के कारण समय के साथ वह अपनी कदम ताल मिलाते हुए विकास के नवीनतम आयाम छूने के लिए प्रयासरत्त रहता …
प्रशंसा – डाॅ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
प्रशंसा बहुत प्यारी है, सभी की ये दुलारी है, कि दामन में सदा इसके, खलकभर की खुमारी है। फर्श को अर्श देती है, उमंग उत्कर्ष देती है, कि देती है ये दातारी, हृदय को हर्ष देती है। दिलों में वास इसका है, यही घर खास इसका है, कि इसकी मोहिनी …
बाती को मत फूंक लगा ~ डाॅ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’
दीपों की जगमग ज्योति के माध्यम से संसार को ज्ञान, प्रेम, सौहार्द, समन्वय, त्याग, परोपकार, संघर्ष, कर्तव्यपरायणता, ध्येयनिष्ठा एवं रचनात्मकता का पाठ पढ़ाने वाले विशिष्ट त्योहार दीपोत्सव की हार्दिक बधाई के साथ अनंतकोटि शुभकामनाएं। भारतीय संस्कृति में संतति यानी संतान रूपी दीपक को यश, प्रतिष्ठा एवं कीर्ति दिलाने हेतु माता-पिता …
बध-बध मत ना बोल ~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
बध-बध मत ना बोल बेलिया, बोल्यां साच उघड़ जासी। मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी।। तू गौरो है इणमें गैला, नहीं किणी रो कीं नौ’रो। पण दूजां रै रोग पीळियो, साबित करणो कद सौ’रो। थनैं घड़ी अर बाड़ बड़ी, बस इतरो काम विधाता रो ? इण गत …
जीवन – पटकथा ~ जयेशदान गढवी
जीवन – पटकथा जीवन कोई पटकथा नहीं, जिसका आरंभ, मध्य, और अंत निश्चित हो, निश्चित हो किरदार, रस, विराम, नायक, खलनायक सुनिश्चित हो। जीवन का मतलब ही है अनिश्चितता, तुम आरंभ नहीं करते, फिर भी तुम्ही से होता है प्रारम्भ, तुम अनजाने में चले जाते हो, दौडते, लड़खड़ाते, गिरते, संभलते। …