छंद – हरीगीत – रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी.
छंद=हरीगीत *चल छोड दे अब छोड दे तुं वृथा चिंता छोड दे.* *ताहरे अधीन है कर्म तो तुं कर्म नाता जोड दे.* *होनी हरीवर हाथ रखियो सकल फिर जंजाळ है.* *ईश्र्वर चरण ग्रह ललीत मनवा अवर माया जाळ है.* *अब चल पुरानी़ प्रगट ज्योती लक्ष पर तुही ध्यान दे.* *पारस …