March 31, 2023

मूऴजी करमसोत रो मरसियो – लाऴस उमरदानजी रो कह्यौ

गाँव धणारी के राठौड़ मूऴजी करमसोत, जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय के समय नागौर के हाकिम थे, वे बहुत उदारमना एंव काव्य-प्रेमी तथा चारणों का अति-विशिष्ठ सम्मान करने वाले व्यक्ति थे। उन्हे नागौर किले में गड़ा हुआ धन मिला था, अतः उन्होने अपनी दाढी छंटाने के उत्सव पर 151 ऊँट तत्कालीन …

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कवित्त – कविया हिंगऴाजदान जी रचित

!! कवित्त !! कविया हिंगऴाजदान जी रचित !! कविया श्री हिंगऴाजदानजी भगवती के अनन्य उपासक थे, माँ उनकी हर पुकार पर आधे हैलै हाजर होती थी, उस समय की परिस्थितियों मे रिजक रोजगार पर, राज की जबरन जब्ती की कार्रवाईयों मे अधिकतर जगहों के समाज सज्जनों के हित की कानूनी …

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कवित्त- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! कवित्त !! जोगीदान अमृत न पान दान दैहैं ततो, औषधि को पान कहा प्रान को उबारिहै ! तारापति जोपै रैन तम को न नासै ततो, जुगनू की जोति कहा अंधकार टारिहै ! द्रोणाचऴ अँजनी को पुत्र हू न आने ततो, और कपि वृन्द कहा अचल उखारि है ! करनी …

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राजस्थानी भाषा – राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! राजस्थानी भाषा !! ========================= संसार की किसी भी भाषा की समृद्धता उसके शब्दकोष और अधिकाधिक संख्या मे पर्यायवाची शब्दो का होना ही उसकी प्रामाणिकता का पुष्ट प्रमाण होता है। राजस्थानी भाषा का शब्दकोष संसार की सभी भाषाओं से बड़ा व समृद्धशाली बताया जाता है। राजस्थानी में ऐक ऐक शब्दो …

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कवित्त- श्रीरामदानजी दधवाङिया कूंपङावास (राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर)

!! कवित्त !! धराके हिये में ध्यान राम अवधेश जूको, मात पितु मेरे ताके चर्ण सीस नाऊँ मैं ! सदगुरू सुजान निज ईश्वर समान मान, जाकी कृपादृष्टि हुते वांछितफल पाऊँमैं ! वीरन को वीर वह भक्त रघुवीर जूको, पोनसुत हनु वाके पद को पूजाऊँ मैं ! आपके प्रसादहुते आदि न …

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दोहा- {प्राचीन इतिहास सू दोहा संकलन} राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

दोहा !! इऴा न देणी आपणी, हालरिये हुलराय ! पूत सिखावै पालणै, मरण बङाई माय !! सज मुखमलरी सेज, नरसोवै हुयहुय निसंक ! बै कांटा रा बेज, रती न जाणै रामजी !! धिन झूंपङियांरा धणी, भुजथां भारत भार ! होथैईज इण मुलकरा, सांचकला सिणगार !! फिरंगातणी फजीत, करवाने कसकस कमर …

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कवित्त- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

कवित्त !! सन्नी जमराज दोऊ धारत महीषन को, मृग पे मयंक अर्क अश्व पे दिखात है ! ब्रह्मा अरू सुरसती हंस पे सवार बनें, तारख पे विष्णु मैन मीन पे विख्यात है ! मूसा पे गजानन रू मोर पे षडानन है, गज पे सवार होत इन्द्र गरजात है ! मेरे …

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सवैया, माधोरामजी कायस्थ- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! सवैया !! !! माधोरामजी कायस्थ !! बालपनै प्रतिपाल करी हम, जानि सही तूँ गरीबनवाज है ! योवन में तन ताप हरी तुम, मेल दिये सब ही सुख साज है ! भीर परे जन पे जननी जब, होय दयाल सुधारत काज है ! तैं जु निहाल कियो सब हाल में, …

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नागदमण- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! नागदमण !! नागराज रो दमण श्रीकिशन जी करियो ने उणरी कवितावां लेख अनैक कविगण व लेखक करियो, उणीज उपर फिल्मां बणी ने नाटक रचिजिया, चावा ठावा चारण भक्त भी नागदमण री रचना कीवी, सांया जी झूला अने कल्याणदास जी गाडण भी ऐङा रूपाऴा सोनलिया आखरां नागराज नाथणे रो किशनजी …

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प्रातः निवेदन- राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

प्रातः निवेदन अंम्बा ओयणरीह, छाया रख छत्रैस्वरी ! दिल मझ दोयणरीह, व्यापै ताप न बीसहथ ! !! छप्पय !! रिच्छाकर राखिया, ज्वाऴ बाऴा मंजारी ! रिच्छाकर राखिया, नाथ गौरख नरनारी ! रिच्छाकर राखिया, पांच पाण्डव अर इण्डव ! रिच्छाकर राखिया, अनंत वेऴा ब्रह्मण्डव ! मोटी ताप जामण मरण, सो रिच्छा …

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