March 21, 2023

कवित्त – कविया हिंगऴाजदान जी रचित

!! कवित्त !! कविया हिंगऴाजदान जी रचित !! कविया श्री हिंगऴाजदानजी भगवती के अनन्य उपासक थे, माँ उनकी हर पुकार पर आधे हैलै हाजर होती थी, उस समय की परिस्थितियों मे रिजक रोजगार पर, राज की जबरन जब्ती की कार्रवाईयों मे अधिकतर जगहों के समाज सज्जनों के हित की कानूनी …

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इंद्र बाईसा का शिखरणी छंद – हिंगऴाजदानजी कविया

आदरणीय कविया हिंगऴाजदानजी विरचित इंद्र बाईसा का यह छंद अपने आप में अनूठा व अवलोकनीय है जिसमें राजस्थानी में संस्कृतंम का सुमेल कर सृजित किया है। ।।छंद-शिखरणी।। ओऊँ तत्सत इच्छा बिरचत सुइच्छा जग बिखै। लखै दृष्टि सृष्टि करम परमेष्टि पुनि लिखै।। तुहि सर्जे पालै हनि संभाऴै उतपति। अई इन्दू अम्बा …

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