शिव स्तुति – महात्मा नरहरिदास बारहठ
।।शिव स्तुति।।(सवैया-घनाक्षरी)वृषभको वाहन बिछावनौ है लोमविष,विषईतुचा को वास क्रोधके निकेत है।आसीविष भूषण, भखन विष विंधुमाला,मंगल तिलक सर्वमंगला सहेत है।।विषय विनाश वेष रहत विषैही रत्त,शूल औ कपाल इहिं संपति समेत है।देखौ धौं अभूत भूतनाथ एकौपल भजे,रीझ मर्त्यनामानि अमर्त्य पद देत है।।१।।भोरे भूलिजात भवभोग दे दे भोर ही लौ,भोरी गोरी भवा के …