March 21, 2023

कविराज जूझारदान दैथा ‘मीठड़िया’

https://youtu.be/wNeFCZKNu5E नाम कविराज जूझारदान दैथा ‘मीठड़िया’ माता पिता नाम  कविराज का जन्म प्रेमदान देथा के घर हुआ व  इनकी माता का नाम लाछाबाई था.  जन्म व जन्म स्थान जन्‍म सिंध प्रांत के अमरकोट जिले के केशराड् नामक गांव में विक्रम संवत १९३२ को स्वर्गवास   कवि संबधित अन्य जानकारी    जीवन …

कविराज जूझारदान दैथा ‘मीठड़िया’ Read More

मत्सस्य की मीरां “समान बाई” कविया

मत्सस्य की मीरां “समान बाई” कविया (पुण्यतिथि श्रावण अमावस्या पर विशेष आलेख ) राजस्थानी साहित्य मेे भक्त कवयित्री के रूप मे जो स्थान मीरा को मिला है उसके समकक्ष समान बाई को भी उनके विपुल  साहित्य रचना के कारण उच्च स्थान पर माना जाता है . अलवर के प्रशिद्ध धरणा …

मत्सस्य की मीरां “समान बाई” कविया Read More

चारण साहित्य और संस्कृति के शिखर पुरुष :- शंकरदान देथा.

अंग्रेजी कहावत ‘Poets are born, not a made’ अर्थात् “कवित्वशक्ति जन्मजात होती है, सिखायी नहीं जाती’, वाली बात को गलत सिद्ध करनेवाली, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त’ रा’ओ लखपत व्रजभाषा पाठशाला में कवि – प्रतिभा प्राप्त करनेवाले जिज्ञासु छात्रों को काव्यशास्त्र के अभ्यास की ओर रुचि पैदा हो ऐसी शिक्षा का प्रबन्ध …

चारण साहित्य और संस्कृति के शिखर पुरुष :- शंकरदान देथा. Read More

दीपै वारां देस, ज्यारां साहित जगमगै (एक) – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काव्य चेतना के उच्चतम सोपान का साहसी नासेटू-तेजस मुंगेरिया एक रचनाकार अपने समय का गौरव होता है। यह बात उन लेखकों और कवियों पर अक्षरशः लागू होती है जो अपने इतिहास और संस्कृति के उज्जवल पक्ष को शब्दों में सारजीत करते हैं। जिस समाज, संस्कृति और देशकाल में ऐसे रचनाकार …

दीपै वारां देस, ज्यारां साहित जगमगै (एक) – डॉ. रेवंत दान बारहठ Read More

सगत हीरा माताजी (धन्य धरा वलदरा सिरोही)

राजस्थान के दक्षिणी भाग में बसा देवनगरी के नाम से प्रख्यात सिरोही जिला इसी सिरोही जिले के पश्चिम दिशा में सिरोही जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर बसा हुआ है आसिया सिरदारो की जागीरी का गांव वडदरा जिसका आज राजस्व नाम वलदरा है। वलदरा वीर शिरोमणी व दानी …

सगत हीरा माताजी (धन्य धरा वलदरा सिरोही) Read More

जनकवि उमरदान जी लाळस – जीवन परिचय

जनकवि ऊमरदानजी लाळस का नाम राजस्थानी साहित्याकाश में एक ज्योतिर्मय नक्षत्र की भांति देदीप्यमान है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की पृथक पहचान है। पाखण्ड-खंडन, नशा निवारण, राष्ट्र-गौरव एवं जन-जागरण का उद्घोष ही इस कवि का प्रमुख लक्ष्य था। इनकी रचनाओं में सामाजिक व्यंग की प्रधानता के साथ ही साहित्यिकता, ऐतिहासिकता …

जनकवि उमरदान जी लाळस – जीवन परिचय Read More

सांईदीन दरवेश

मध्यकालीन राजस्थानी काव्य में एक नाम आवै सांईदीन दरवेश रो। सांईदीनजी रै जनम विषय में फतेहसिंह जी मानव लिखै कै- “पालनपुर रियासत रै गांम वारणवाड़ा में लोहार कुल़ में सांईदीनजी रो जनम हुयो। सांईदीनजी बालगिरि रा चेला हा। ” सूफी संप्रदाय अर वेदांत सूं पूरा प्रभावित हा। भलांई ऐ महात्मा …

सांईदीन दरवेश Read More

લાંગીદાસ મહેડુ : વ્યક્તિત્વ અને વામય, ડૉ. ગીતા એસ. ગઢવી

लांगीदासजी मेहडू સરસ્વતીની ઉપાસના – આરાધનાને જ પોતાના જીવનનું પ્રથમ અને પરમ કર્તવ્ય માનનાર ચારણોએ ભારતીય સંસ્કૃતિની અસ્મિતાના જતનાર્થે તથા સમાજમાં નીતિમત્તા, ત્યાગ, બલિદાન, શોર્ય અને ભક્તિ ઈત્યાદિ ગુણોમાં વૃદ્ધિ થાય એવા શુભાશયથી સાહિત્યનું સર્જન કર્યું છે. સમાજ ઘડતરના વિશિષ્ટ અભિગમથી ચારણી સાહિત્યના સર્જકોએ પોતાની વાણી અને વર્તનમાં સંપૂર્ણ સંવાદિતા …

લાંગીદાસ મહેડુ : વ્યક્તિત્વ અને વામય, ડૉ. ગીતા એસ. ગઢવી Read More
error: Content is protected !!