गिरधरदान रतनू / गीत / गीत जांगड़ो / नेतागिरी
ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो
गीत-जांगड़ो सरपंची रो मेल़ो सजियो, भाव देखवै भोपा। धूतां धजा जात री धारी, खैरूं होसी खोपा।।1 दूजां नै दाणो नीं दैणो, एक समरथन आपै। वित लूटण मनसोबा बांधै, जनहित झूठा जापै।।2 पड़ियां अड़ी दांत ना पूंछै, खोद्यां राखै खाडा। चारजनम रो वैर चितारै, आय ऊभै झट आडा।।3 पद पायां बहिया …