March 31, 2023

ए ज सोनल अवतरी- कवि दुला भाया “काग”

।।दोहा।। उग्रसेन चारण सकळ, कंस कळी बणवीर। गोकुळ मढडा गाममें, सोनल जाई हमीर।। ।।छंद – सारसी।। नव लाख पोषण अकळ नर ही, ए ज सोनल अवतरी।। मा ! ए ज सोनल अवतरी ।।टेर।। अंधकारनी फोजुं हटी, भेंकार रजनी भागती। पोफाट हामा सधू प्रगटी, ज्योत झगमग जागती।। व्रण तिमिर मेटण सूर …

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कवि काग वंदना- रचना – कवि श्री जोगीदान चडीया

कवि काग वंदना रचना: जोगीदान चडीया कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने, धऩ्य मां धाना ने धन्य भाया बड भाग्य रे… कुळ वंत कोडीला…. कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला काग ने…टेक कलम तिरे विंधाय अमांणाय काळजां. साद मां जांणे घुघवे सायर सात रे…सावज सादुळा… कोटी कोटी वंदन छे दुल्ला …

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चारण – कन्या / झवेरचन्द मेघाणी

ચારણ-કન્યા//ઝવેરચંદ મેઘાણી સાવજ ગરજે !વનરાવનનો રાજા ગરજે ગીરકાંઠાનો કેસરી ગરજેઐરાવતકુળનો અરિ ગરજેકડ્યપાતળિયો જોધ્ધો ગરજેમોં ફાડી માતેલો ગરજેજાણે કો જોગંદર ગરજેનાનો એવો સમદર ગરજે !ક્યાં ક્યાં ગરજે?બાવળના જાળામાં ગરજેડુંગરના ગાળામાં ગરજેકણબીના ખેતરમાં ગરજેગામ તણા પાદરમાં ગરજેનદીઓની ભેખડમાં ગરજેગિરિઓની ગોહરમાં ગરજેઊગમણો આથમણો ગરજેઓરો ને આઘેરો ગરજે થર થર કાંપે ! વાડામાં વાછડલાં …

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कागबापुनी रचना – आज तरछोड माँ जोगमाया

कागबापुनी रचना= आज तरछोड माँ जोगमाया   भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी घणा लाड मोटा कर्या,प्रथम सत्काव्यनां दुध पायां…, खोडले खेलव्या बाळने मावडी, आज तरछोड मा जोगमाया!…..१   रास रमति हती अमतणी जीभपर, झणण …

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कवि शिरोमण काग।। – कवि राजन झणकली (राजेन्द्रदानजी)

इहग आयो इळ उपरा, साहित्य धन सोभाग। सुरसत मुख रहती सदा, कवि शिरोमण काग।। सितारों सकळ समाज रो, पातां तणो ओ पाग। गढवी इण गुजरात रो, कवि शिरोमण काग।। सच सभ्यता तन सादगी, रिझाय सुरसत राग। पूरो भगत प्रमेश रो, कवि शिरोमण काग।। गढवी गीतों गजब रो, उपजातो अनुराग। वरदायक …

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गुजराती अर डिंगल़ रा महामनीषी विद्वान अर ऋषि तुल्य पूज्य दूलाभाया काग नै सादर- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गुजराती अर डिंगल़ रा महामनीषी विद्वान अर ऋषि तुल्य पूज्य दूलाभाया काग नै सादर कवियण वंदन काग दूहा सरस भाव भगती सहित,  राम मिलण री राग। गुणी मुलक गुजरात में, करी भली तैं काग।।१ छंद छटा बिखरी छिती, इल़ा करै सह आघ। आखर साकर सारखा, करिया घर -घर काग।।२ मरू …

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दुला भाया काग जयंती पर उनके संस्मरण- आशूदानजी मेहडू

दुला भाया काग जयंती पर उनके संस्मरण   आजे काव्य ऋषि स्व. श्री दुलाभाई भाया भाई काग नी 116 मीं जन्मजयन्ति परे मने एवा युग पुरुष भगत बापू ना नाम थी जे विख्यात देव चारण हता, एनी साथे पहलली मुलाकात याद आवी । हुं 1971 ना भारत पाक युद्ध विराम …

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कागबापु (भगतबापु) कि जन्म जयंती पर कोटी कोटी वंदन

दुला भाया काग (25 नवम्बर 1902–02 फ़रवरी 1977) प्रसिद्ध कवि, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म सौराष्ट्र-गुजरात के महुवा के निकटवर्ती गाँव मजदार में हुआ था जो अब कागधाम के नाम से जाना जाता है। दुला भाया काग ने केवल पांचवी कक्षा तक पढाई की तत्पश्चात पशुपालन में …

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कागबापु रचीत दोहो

कागबापु रचीत दोहो शांतिकरण जगभरण तुं, घडण घणा भवघाट। नमो आध नारायणी, विश्र्वरूप वैराट।। (छंद-भुजंगी) नमो ब्रह्मशक्ति  महाविश्र्वमाया, नमो धारनी कोटि ब्रह्मांड काया; नमो वेद वेदांत मे शेष बरनी, नमो राज का रंक पे छत्र धरनी;1 नमो पौनरूपी महा प्राणदाता, नमो जगतभक्षी प्रले जीव घाता नमो दामनी तार तोरा रूपाळा, …

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पद्मश्री दुला भाया काग

ભગતબાપુના પ્યારા અને લાડીલા નામે ઓળખાતા પદ્મશ્રી દુલા કાગનો પરિચય ગુજરાતની પ્રજાને આપવાનો હોય શું? દેશ-પરદેશમાં વસતા ગુજરાતીઓમાં પણ ભગતબાપુના નામથી કોઈપણ અપરિચિત હોય? પોતાની મૌલિકવાણીમાં ‘‘કાગવાણી’ ને આઠ – ભાગની ભેટ ગુજરાતની જનતાને આપનાર કવિશ્રી ગુજરાતની વિરલ વિભૂતિ છે, એમના વિશે શું લખવું? ગુજરાતના સાક્ષર વર્ગ ધણું લખ્યું છે,ભગતબાપુનો …

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