साची बात कहूँ रे दिवला ~ डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’
साची बात कहूँ रे दिवला, थूं म्हारै मन भावै। दिपती जोत देख दिल हरखै, अणहद आणंद आवै। च्यारुंमेर चड़ूड़ च्यानणो, तेज तकड़बंद थारो। जुड़ियाँ नयण पलक नहं झपकै, आकर्षक उणियारो। चत्रकूंटां सड़कां चौराहां, पुर-डगरां पळकाई। परतख तेज गगन लग पूगो, साख धाक सबळाई।। ओ सब साच जगत अंगेजै, अखूं जकी …