March 21, 2023

नज़्मों का नासेटू – डॉ. रेवंतदान बारहठ

नज़्मों की नासेट में निकला हुआ शायरजब मांधारा होने के बादअपने आसरे को लौटता हैतो उखणकर लाता हैअनोखे अनोखे आखर ख़ूजों में भरकर लाता हैख़्यालों की खूम्भीयाँसबदों की रिनरोहि मेंरबकते हुए चुरबण के लिएचापटियों को चुगता हैछिलोछिल भरता हैदिल की दिहड़ी कोकच्ची हथकढ़ दारू से राह की अबखाइयाँ कोमुरड़कर भारा …

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सृष्टा – दृष्टा ~ डॉ. रेवंतदान बारहठ

देख रहा है सृष्टा को दृष्टा दूर अनंत अंतरिक्ष में उसे दिखाई दे रही है प्रकाश वर्ष को द्रुत गति से लांघती लपलपाती हुई एक अगन लौ भाप बनकर उड़ते हुए समंदर, हरहराकर धरती के सारे गर्तों को पाटते हुए हिमगिरि के सब उतंग शिखर, पवन उन्नचास के वेग में …

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दीपै वारां देस, ज्यारां साहित जगमगै (एक) – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काव्य चेतना के उच्चतम सोपान का साहसी नासेटू-तेजस मुंगेरिया एक रचनाकार अपने समय का गौरव होता है। यह बात उन लेखकों और कवियों पर अक्षरशः लागू होती है जो अपने इतिहास और संस्कृति के उज्जवल पक्ष को शब्दों में सारजीत करते हैं। जिस समाज, संस्कृति और देशकाल में ऐसे रचनाकार …

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काल कवि – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काल कवि समय के महासमर में मैंने शाश्वत शब्दघोष किया है शब्द मेरे शस्त्र रहे हैं शब्द शक्तियां आत्मसंयम रही हैं मैं सनातन साक्षी हूं असंख्य सभ्यताओं संस्कृतियों की श्रृंखलाओं शक्तिशाली सत्ताओं का, मैं साक्षात हुआ हूं अनेकानेक सूरवीरों स्वयंभू शासकों दानवीरों, प्रणवीरों और विद्या के विविध वाग्वीरों से आक्रांताओं …

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चारण – डॉ. रेवंत दान बारहठ

सृष्टि रचयिता ने स्वर्ग के लिए जब पहली बार रचे थे पांच देव – देवता, विद्याधर, यक्ष, चारण और गंधर्व तभी इहलोक पर रचा था केवल एक नश्वर मनुष्य मगर मनुष्य ने खुद को बांट दिया था क्षत्रिय, बामण, वैश्य और शूद्र में कहते हैं कि राजा पृथु ने स्वर्ग …

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अनवरत प्रेम को खोजती – डॉ. रेवंत दान बारहठ

डॉ. रेवन्त दान राजस्थान की हिंदी कविता के उदीयमान हस्ताक्षर हैं। उनकी कविताएँ जन जीवन के संघर्ष और आशा-विश्वास की तेवरी रचनाएँ हैं। कवि की प्रेम कविताएँ ‘मिट्टी’ से उगा प्रेम है। वह ‘उखड़ती सांसों के बीच, हिरणों जैसी प्यास लिए जीवन के मरुस्थल में अनवरत प्रेम पाने को दौड़ …

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