March 21, 2023

लाख़ा जमर रौ जस (आउवा पाली) – कवि भंवरदान झणकली

लाख़ा जमर रौ जस (आउवा पाली) – कवि भंवरदान झणकली “सौल़ह सौ संवत रै बरस तियाल़िसै बीच़। ला़ख़ा ज़मर ज़ालीय़ा सतीया श्रोणित स़ीन्च” “धीरज तज जौध़ाण पत कौफ कीयौ कमधैश। मुरधर छौड़ौ माघ़णा दियौ निकाल़ौ दैश” किरनाल़ कुल़ रौ कलंक राजा,कंश बनकर कौफीयौ। निकलंक गढ़ जौधाण़ रौ नव कुंगरौ नीचौ …

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वीरां माऊ वंदना

सिरुवै जैसल़मेर रा रतनू हरपाल़जी समरथदानजी रा आपरी बखत रा स्वाभिमानी अर साहसी पुरस हा। इणां री शादी रतनुवां रा बही-राव, रावजी पूनमदान नरसिंहदानजी बिराई रै मुजब गांम सींथल़ रा बीठू किशोरजी डूंगरदानजी रां री बेटी वीरां बाई रै साथै हुई। जद जैसलमेर रा तत्कालीन महारावल़ जसवंतसिहजी(1759-1764वि) अर भाटी तेजमालजी …

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ગવતી આઈ શ્રી જીવામાં – લખીયાવીરા (भगवती आई श्री जीवा मां-लाखीयावीर

માતૃપૂજાની શરૂઆત તો સૃષ્ટિના આરંભ સાથે જ થઈ હશે. ભારતમાં તો આદિકાળથી જ માતૃપૂજા થતી આવી છે. ઋગ્વદમાં પણ જગદંબાને સર્વદેવોના અધિષ્ઠાત્રી આધાર સ્વરૂપ, સર્વને ધારણ કરનારા સચ્ચિદાનંદમયી શક્તિ સ્વરૂપે વર્ણવ્યા છે. ચારણ આઈઓની ઉજળી ગૌરવશાળી અને ભવ્ય પરંપરા રહી છે. ચારણ તો મુળથી જ જગદંબાનો ઉપાસક રહ્યો છે. તેથી …

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रँग शीलां रखवाल़िया,जोर झिणकली झाड़!!

एक जमानो हो जद अठै रा नर-नारी मरट सूं जीवण जीवता अर सत रै साथै पत रै मारग बैवता। हालांकै धरती बीज गमावै नीं आज ई ऐड़ा लोग है जद ई तो ओ आकाश बिनां थांभै ऊभो है अर ऐड़ै नर-नाहरां री बातां हालै। पण उण दिनां री बातां बीजी …

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जय माँ जोमा।।हूं नीं, जमर जोमां करसी!!

धाट धरा (अमरकोट अर आसै-पासै रो इलाको) सोढां अर देथां री दातारगी रै पाण चावी रैयी है। सोढै खींवरै री दातारगी नै जनमानस इतरो सनमान दियो कै पिछमांण में किणी पण जात में ब्याव होवो, पण चंवरी री बखत ‘खींवरो’ गीत अवस ही गाईजैला- कीरत विल़िया काहला, दत विल़ियां दोढाह। परणीजै …

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धिन चंदू राखी धरा – गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

उन्नीसवों सइको राजस्थान में उथल़-पुथल़ अर अत्याचारां रो रैयो। उण काल़ खंड में केई राजावां अर ठाकरां आपरै पुरखां री थापित मरजादावां रै खिलाफ काम कियो। जिणनै केई लोगां अंगेजियो तो केइयां प्रतिकार ई कियो। उण काल़खंड में चारणां रै बीसूं सांसणां में जमर अर तेलिया होया। चारणां नै दिरीजण …

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आऊवा रो मरण-महोछब

साचाणी आ बात मनणजोग नीं है कै मरण रो ई कोई महोछब मनावै !! पण जद आपां राजस्थान रै मध्यकालीन इतिहास नै पढां तो आपां रै साम्हीं ऐड़ा अलेखूं दाखला सावचड़ूड़ आवै कै अठै पग-पग माथै मरण महोछब मनाईज्या हा। जिण गढां में शाका हुया, उठै रै उछब रो आजरा …

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सुहागी गाँव का इतिहास​ (सुहागी बाई)

​गाँव- सुहागी, तहसील- सेड़वा, जिला- बाड़मेर, राजस्थान​  विक्रमी सवंत 1580 में मेंहडू शाखा के चारण भादाजी मेंहडू को गंगाजी सोढा द्वारा सुहागी गाँव भेंट स्वरूप प्राप्त हुआ। सुहागी का तत्कालीन नाम मेंहडु वास था। भादाजी मेहड़ू की सुपुत्री सुहागीबाई का विवाह महिया शाखा के चारण से हुआ। सुहागीबाई के पुत्र …

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भेरदानजी मीसण ओगाला

पेर कटारी पोढयौ, दे प्रचणा सर पाँव। रण धपावेह रगत सौ, रंग हो मीसण राव।। भेरदानजी मीसण ओगाला ने भोयात्रे गढ़ पर कटारी पेर ने भूपालसिंह चौहाण का राज्य और वंश करके उस गढ़ वाले शहर को एक सुनसान जंगल बना दिया! ओगाला से कवि चंदादानजी मीसण अक्सर भेरदानजी से …

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