Category: छप्पय
छप्पय – डॉ गजादान चारण ‘शक्तिसुत’
छप्पय सब सेणां रै साथ, प्रात उठ दरसण पाऊं। मात चरण में माथ, नेम सूं नित्त नमाऊं। सुरसत देवै सुमत, कुमत मेटै किनियाणी। जुगती सबदां जोड़, उरां उकती उपजाणी। जगदम्ब कृपा रै जबर बल, पंगु पहाड़ां पूगियो। कर जोड़ नमन गजराज कर, आज भाण भल ऊगियो। जय जय जय जगदम्ब, …
करणीजी रा छप्पय- गिरधरदान रतनू दासोड़ी
महाकवि चैनकरणजी सांदू ने कहा है- देवी नव दिन्नांह, साचै मन समरण करां। तीन सौ साठ दिनांह, विघन न व्यापै बीसहथ।। आप सभी सहृदय सज्जनों को पावन नवरात्रि शुभारंभ की आत्मिक बधाई।मा करनी आपके जीवन में सुख,समृद्धि, शांति तथा सद्बुद्धि का विस्तीर्ण करें एवं आप साफल्य मंडित जीवन की राह …
छप्पय – चूंडा दधवाङिया कृत (राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर)
!!छप्पय !! चूंडा दधवाङिया कृत !! आप हूंत आकास, पवन आकास प्रसन्नौ ! पवंण हूंत तत तेज, तेज पांणी ऊपन्नौ ! पांणी हूंता प्रिथी, प्रिथी गुण पंच प्रगट्टा ! पंच गुंणां ग्रह पंच, विषै इंन्द्री निवट्टा ! करी मांण पंच इंद्री किया, कीध पंच अंतह करण ! पंच वीस करता …
हरमाङा गांव के विषय में-राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर
!! हरमाङा गांव के विषय में !! वर्तमान में जयपुर शहर का नगर निगम का वार्ड बनगया हरमाङा पहले गाडण चारणों की जागिर की स्वशासन का गांव था, इस गांव की सरसता, सजलता, सम्पनता व संमृध्दता पर महाकवि हिंगऴाजदानजी कवियानें छप्पय की एतिहासिक रचना की थी जो आज की नवयुवा …
बारहठ शंकर और महाराजा रायसिंह-राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर
! बारहठ शंकर और महाराजा रायसिंह ! प्रसिध्द महात्मा भक्तप्रवर ईश्वरदासजी के काका आशाजी भी बङे भक्त व कवि थे उनकी वंश परंपरा में ही चाहङजी, दूदाजी, आदि भी अपने समय के बङे पंहुचे हुए गुणी तथा कवि हुए हैं चांदसर नाथुसर खुंडिया आदि गांवो में उनके वंशज अभी भी …
हरिभक्त चारण कवि
हरिभक्त चारण कवि ! !! छप्पय !! कर्मानन्द अल्लू चौरा, चंड ईसर केसो ! दूदो जीवद नरौ, नारायण मांडण बेसो ! कोल्हरू माधौदास, बहुत जिन वाणी सोहन ! अचलदास चौमुखारू, अचल सांपा हरि मोहन ! राघव उधरे राम भण, गुरु प्रसाद जग सूं जुवा ! घर घर चारण कवि घणा, …
भैरूंनाथ रा छप्पय – जवाहरदान जी रतनूं
जवाहरदान जी रतनूं, थूंसड़ा रा प्राचीन समय रा चारण साहित रा सिरजणहार साधक हा। रतनूं साहब री भगवती री चिरजा/रचनांवां री अजब अनूठी अलंकारिक व भावपक्ष री न्यारी निराऴी हटोटी ही। रतनूं साहब री चिरजांवा रो ऐक बड़ै संग्रह रो प्रकासन “श्रीजगदम्ब-सुयश” नाम री किताब रौ आज सूं लगभग सौ …
महमाया चम्पाबाई माँ सुजस – भँवरदानजी माड़वा “मधुकरजी”
महमाया चम्पाबाई माँ सुजस। ।।दोहा।। शुध बुध दे चम्पा सगत, कुमत टाल करनल्ल। भगत सुजस भणै भमरो, उकत समपो अवल्ल। पारकर धन्य वा प्रथमी, तहां चम्पाआई अवतार। मोद करै वर्ण मेहड़ू, संढायच कुल सार। संवत ऊनीसो सही, पचहतरो परमाण। श्रावण शुधी एकादशी, जन्मी चम्पा जांण। अम्बा सधर अराधना, जगतम्बा कर …