March 31, 2023

छंद रूप मुकुंद – कवि भंवरदान झणकली

छंद रूप मुकुंद – कवि भंवरदान झणकली घर हूत अणुत कपूतर पूत, भभूत लगाए भटकता है। गुरू धूत कै जूत करतूत सहै, अस्तूत मां भूत अटकता है।। अदभूत धँआङ माँ धुत रहै, अण कूंत अफीम गटकता है। अवधूत वणै मजबूत नशा, जमदूत की फांस लटकता है।।1।। घर बार तजे वर्ण …

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श्री करणी जी रौ छन्द – भंवरदानजी (झनकली)

मन मंदिर रा मावड़ी, करणी खोल कपाट। सुंदर रचना कर सकूं, वरणी रूप विराट।। छंद जात लीलावती तो आदि अहुकारण सकल उपासण मान वधारो जोगमया। पंचों तंत सारे त्रिगुण पसारे थिर धारा ब्राहमंड थया। नखतर निहारिका नेम नचाया ध्रुव गगन गंगा धरणी। नित नमस्कार नवलाख निरंतर करणी करणी जय करणी …

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श्री सभाई सुजस – भँवरदान मधुकर झणकली

श्री सभाई सुजस दोहा सभाई चड़िया सती जाती वधारण जस। रंग वारण घर रतनू वेरियाँ काटण वंश।। कवियन्द धर कपूरड़ी शाख सौविस निवास कीधी अनीति कमधजां ओ वरणो इतिहास।। छंद पधरी साँसणा अवल हुतो सुथान सरवत प्रगट शौभा समान बाजार हाट करतां बखान सुंदर अपार गोकुल समान।। कमधजां कलंक वैरीसाल …

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चम्पाबाई माँ छंद – विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – दोमळियो दुहो प्रगट मात पृहमी परे,हरणी विपत हजार. चरणा दीजो चारणी,चांपल जुगरी चार. छंद धिन चारण कुळ जळोमळ जोगण,ओप दिरावण आप सही. अवतार अपार धिराण महाबळ,सेवकरी सरकार कही. निज बाळ सँभाळ दयाळ महारथ,नाथ सदा समराथ रहो. चिंरकाळ महा सुख देवण आयल,मात चंम्पा दुख हाण हरो…..1 वाघदान सुता धिन …

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श्री चंपाबाई चारणी रो छंद – कवि राजन झणकली

श्री चंपाबाई चारणी रो छंद बाग सुता बागेशरी मेहड़ू कुळ महान। पावन धरा पारकरी जनमी डिणसी जान। पति राणो परमारथी मऊ नगरी मांय। वंश सिंढायच वारसी ऊजळ कीनो आय। प्रातः कज्ज कर प्रमेशरी साधक रूप सुजास वाचन करती वीश हथी पावन ग्रँथ प्रकाश। प्रकटी उन्नीस पिचोतरे आई चंपा आप। तपधारी …

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करणी मां का छंद कृत खेतदानजी मीसण

।।करणी मां का छंद।। ।।दोहा।। आप अजोनी ओपनी, माजी मरूधर मांय। देवी धन देशनोक में, मेहासधु महमाय—–(1) असरण सरणो आपरो, सेवग करणी साय। चौसठ भेळी चोमणी, रमणी जंगल राय—–(2) जग धरणी करणी जके, हरणी दुख हजार। तारण तरणी त्रेगुणी, करणी जे कर वार—–(3) ।।छंद-रेणंकी।। (तो) करनिय घर-घर मंगल करनिय, समरण …

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चारण गुण ओर चारण कवियो का कर्तव्य वर्णन ​- कवि खूमदान बारहठ

चारण गुण ओर चारण कवियों का कर्तव्य वर्णन​ कृत:- कवि श्री खूमदानजी बारहठ दोहे​ चारण वर्ण चतुर है, वाका ब्रद बुलंद। ह्रदय विमल परहित करण, सज्जन स्वभाव सुखन्द।।(1) सत्य वक्ता सदभावना, अधका वीर उदार। बुधवन्ता चर्चत ब्रद, वधता ज्ञान विचार।।(2) गुणवता चित गौरवता, राज सभा का रूप। रस भरी कविता …

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ईश्वर की रंग बिरंगी विश्व रचना का वर्णन- कवि खूमदानजी बारहठ

ईश्वर की रंग बिरंगी विश्व रचना का वर्णन:- कृत- कवि खूमदानजी बारहठ दोहा भरया कोटि ब्रहमण्डों, विध-विध लीला विधान। रंग के के कुदरत रची, सोइया ते सुभान।। छंन्द जात डुमेला सिर बंधा विध-2 किये प्रकृति वीस्तारण, धारण कोटि ब्रहमण्ड धरा। अंतरिक्ष मे सूरज चंद्र उजासत, तारादि व्रन्द ग्रहों तिनरा।। हद …

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ईश्वर की गहन गति का वर्णन- कवि खूमदानजी बारहठ

ईश्वर की गहन गति का वर्णन दोहा गहन गति प्रभु की गिणो, वर्णे कोण वखाण। रहे अन्दर बाहर रमें, कैक रचे कमठाण।। छंद जात सारसी के के रचाना कमठाणा, जगत जाना नाज के। सिद्ध पुरुष स्याना शोधनाना, तान भुलाना तिके।। प्रकृति प्रमाना पार पाना, कठिन महाना काम है। टेक भव …

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अथ छाछरो के भोजराज सोढा लालजी और वींझराजजी का मरसिया – संग्रामसिंह सोढा

अथ छाछरो के भोजराज सोढा लालजी और वींझराजजी का मरसिया कवि खूमदान बारहठ कृत टँकन कर्ता  – संग्राम सिंह सोढा सचियापुरा दोहा छत्रिकुळ वंका छाछरे, देतल कवियां दात। कर भलप जग में करी, परमल सुयस प्रक्षात।।1।। अखजी सुत लाल उजवल, सद गुणि दाता सोय। विंझराज कलजी सुवन, दीप कथा थळ …

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