March 21, 2023

मही मदती मावड़ी

।।दूहा।। सुणजै नितप्रत समरियां, आयल ऐह अरज्ज। पूरै तूं परमेसरी, घट री मूझ गरज्ज।।१ विसतरियो धर पर विघन, रसा करोना रोग। हेलो सुण ओ हेतवां, जांमण काट कुजोग।।२ ।।छंद-सारसी।। धिन पिछम राजै भीर धरणी, हिंगल़ा बड हाथ तूं। दुख-रोग काटै आय दाता, बणी राखै बात तूं. दिल डरपियो सब देश …

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ए ज सोनल अवतरी- कवि दुला भाया “काग”

।।दोहा।। उग्रसेन चारण सकळ, कंस कळी बणवीर। गोकुळ मढडा गाममें, सोनल जाई हमीर।। ।।छंद – सारसी।। नव लाख पोषण अकळ नर ही, ए ज सोनल अवतरी।। मा ! ए ज सोनल अवतरी ।।टेर।। अंधकारनी फोजुं हटी, भेंकार रजनी भागती। पोफाट हामा सधू प्रगटी, ज्योत झगमग जागती।। व्रण तिमिर मेटण सूर …

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लूंग मां- कवि मधुकर माड़वा।

।।दोहा।। आई लूंग जन्म इला, उपजाई अनुराग। वरदाई मां विसहथी, भमर गाई बड भाग।।1।। अजित दान पितु आशिया, मायड़ मेतु महान। लूंग जाय घर लाडली, वलदराय वरदान।।2।। साल गिरह नभवै सरस, बीज शुधी वरताय। जेठ मास में जगतम्बा, जयन्तीय जचवाय।।3।। ।।छंद सारसी ।। जेठां जपावै बीज थावै जन्म पावै जानियै। …

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श्री वीरों माँ भिंयाड़ छंद- राजेन्द्र दान वीठू (कवि राजन झणकली)

श्री वीरों माँ भिंयाड़ छंद रचना – राजेन्द्रदान वीठू (कवि राजन झणकली)   रावळ गुड़े रांण रो अरी दळ आयो एक गऊ ले गयो गांम रे हुकम न छोड़ी हेक।। संदेशो सब रो सुणने आयो नयन अंगार भजे मात रीस भरने कोप्यो सुत खंगार।। धेन कारज धरणी पर वाहर कीधी …

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ईश्वर की गहन गति का वर्णन- कवि खूमदानजी बारहठ

ईश्वर की गहन गति का वर्णन दोहा गहन गति प्रभु की गिणो, वर्णे कोण वखाण। रहे अन्दर बाहर रमें, कैक रचे कमठाण।। छंद जात सारसी के के रचाना कमठाणा, जगत जाना नाज के। सिद्ध पुरुष स्याना शोधनाना, तान भुलाना तिके।। प्रकृति प्रमाना पार पाना, कठिन महाना काम है। टेक भव …

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