इंद्र बाईसा का शिखरणी छंद – हिंगऴाजदानजी कविया
आदरणीय कविया हिंगऴाजदानजी विरचित इंद्र बाईसा का यह छंद अपने आप में अनूठा व अवलोकनीय है जिसमें राजस्थानी में संस्कृतंम का सुमेल कर सृजित किया है। ।।छंद-शिखरणी।। ओऊँ तत्सत इच्छा बिरचत सुइच्छा जग बिखै। लखै दृष्टि सृष्टि करम परमेष्टि पुनि लिखै।। तुहि सर्जे पालै हनि संभाऴै उतपति। अई इन्दू अम्बा …