चारणा री मरजाद – कवि भंवरदान झणकली
चारणा री मरजाद – कवि भंवरदान झणकली देव कुळ मों जन्म देती, जीभड़ी अमरत जड़ी। उण जिभ्या पर आज आखर लाख गाळ्या ले थड़ी। ऐ रही मरजाद अब तो माघणा घर मावड़ी।।1।। तणक पडतां वरत तूटी जुग वदन बम्बी जुड़ी। तोड़ सगपण आज ताकव घाव बेचे धीवड़ी। ऐ रही मरजाद …