पछै म्हारो बेटो होवण री ओल़ख क्यूं नीं दी!!
ढांढणियै रा लाल़स रामचंद्रजी उन्नीसवें सईकै रा नामचीन कवि। उणांरी घणी रचनावां चावी। जोगी जरणानाथजी रा छंद बेजोड़- जोगी जग जरणा करुणा करणा, इल़ नहीं मरणा अवतरणा!! इणां री काव्य प्रतिभा अर वाक शक्ति सूं रीझ र नगर रावतजी – भेडाणा अर आंबल़ियाल़ी नामक दो गांम तो आकली अर अरणियाल़ी …