March 31, 2023

संकटो में घिरे हुवे सेनानी का सन्देश ~ कवि भंवरदान झणकली

संकटो में घिरे हुवे सेनानी का सन्देश ~ कवि भंवरदान झणकली दोहा मात सन्देशो मेलियो बेटा छोड़ विवाद। खुश कर याया खान नां आ जा होय आजाद ।।1।। मात पिता घुट घुट मरे अरि करे अपमान। दुख दे मारे दुलातियां खचर् टिका खाँन।।2।। दुष्ट फौजां इण देश नां कीधो कब्रिश्तान। …

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गीत करनीजी नै अरज रो – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

संभल़जै सत सिमरियां साद निज सेवगां, लेस मत हमरकै जेज लाजै। विपत्ति मिटावण वसुधा-कुटंब री, उडंती लोवड़ी भीर आजै।।1 खलक री रखै तूं पलक री खबर नै, मुलक में पसरगी महामारी। आपरां तणी तूं हेक छै औषधी, थापपण छापपण हेक थारी।।2 पसारै दिनोदिन रोग निज पांवला, प्राथमी ऊपरै दांत पीसै। …

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ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो

गीत-जांगड़ो सरपंची रो मेल़ो सजियो, भाव देखवै भोपा। धूतां धजा जात री धारी, खैरूं होसी खोपा।।1 दूजां नै दाणो नीं दैणो, एक समरथन आपै। वित लूटण मनसोबा बांधै, जनहित झूठा जापै।।2 पड़ियां अड़ी दांत ना पूंछै, खोद्यां राखै खाडा। चारजनम रो वैर चितारै, आय ऊभै झट आडा।।3 पद पायां बहिया …

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कहो वीर चारणो केवा – कवि श्री जोगीदान चडीया

कहो वीर चारणो केवा रचना: जोगीदान चडीया ढाळ: सुना समदर नी पाळे दोहो कलमु किरपांणुं ग्रही, पकड्यो चारण पंथ जोधो अणनम जोगडा, कंकणवाळी नो कंथ गीत कहो वीर चारणो केवा रे ,जोधा जमरांण ना जेवा… भुले नइ आ भोमका जेने ई भड़ युगो युग याद रे एवा रे… लळी लळी …

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धाट री प्रीत अर रीत- आशूदान मेहड़ू

आदरणीय सभी स्वजातिय धाटवासी सज्जनों। दो दिन पहले मैंने सिंधी भाषा मे “पारकर जी प्रीत” नामक शीर्ष से मेरी जन्मभूमि को लोरी दी थी, सिंधी एवं कच्छी भाषा के धाट पारकर वासी भारत में विस्थापित प्रेमियों ने उसको पढ़ा, अवलोकन किया और बधाई संदेश भी भेजे उन सभी सज्जनों को …

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गीत बल्लू जी चांपावत रो (संकलन कर्ता- मोहन सिह रतनू, जोधपुर

गीत बल्लू जी चांपावत रो गीत प्रहास साणोर विजड ऊठियो धूण गिरमेर रो बहादुर, पछै म्हे कदे अवसाण पावां। अमर ने सुरग दिस मैल ने ऐकलो, आगरै लडैवा कदै आवां। अहुडै अमर राजा तणा ऊमरां, जुडैवा पारकी छठी जागां। बोलियो बलू पतसाह रे बरोबर,  मारूवै राव रो बैर मांगा। केसर्या …

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अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ- प्रहलादसिंह “झोरड़ा”

“अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ” कै सोनलियै आखरां वीर रो मांडू विरद कहाणी में बो हँसतौ हँसतौ प्राण दिया  आजादी री अगवाणी में आभे में तारा ऊग रिया  रातङली पांव पसारे ही | महलां में सूते निज सुत रो  माँ माणक रूप निहारे ही | नैणां सूं नींद उचटगी ही  …

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बूढी माँ रे काळजियै री’- प्रहलादसिंह झोरड़ा

मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के  तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक झुळक बाटड़ली जोवै, पल भर चैन न पावै बा पण तूं पाछौ आयां बीं सूं बोले मीठी वाणी के मन …

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