March 25, 2023

डोकरी – गज़ल

डोकरी – गज़ल नरपत आसिया “वैतालिक”बैठी घर रे बार डोकरी!किणनें रही निहार डोकरी!हेत हथाई अपणायत री,टाबर रे रसधार डोकरी!बाल़कियां री हरपल़ बेली,बण बाघण खुंखार डोकरी!धीणां, डांगर, प्हैला आंगण,राख नीरती न्यार डोकरी!हतौ डोकरो हाजर उण पल़,सजिया घण सिंगार डोकरी!करै पारकी बस पंचायत,खरी भर्योडै खार डोकरी!डरा प्हैल बहुवां धमकायी,इण बोथी तलवार डोकरी!आज …

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बन्द करिए बापजी – गजल

हर बात को खुद पे खताना, बन्द करिए बापजी। बिन बात के बातें बनाना, बन्द करिए बापजी। बीज में विष जो भरा तो फल विषैले खाइए, ख़ामख़ा अब खार खाना, बन्द करिए बापजी। सागरों की साख में ही साख सबकी है सुनो! गागरों के गीत गाना, बन्द करिए बापजी। लफ़्ज …

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गज़ल – डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत

चींटियों के चमचमाते पर निकल आए सुनो। महफ़िलों में मेंढ़कों ने गीत फिर गाए सुनो। अहो रूपम् अहो ध्वनि का, दौर परतख देखिए, पंचस्वर को साधने कटु-काग सज आए सुनो। आवरण ओढ़े हुए है आज का हर आदमी, क्या पता कलि-कृष्ण में, कब कंश दिख जाए सुनो। वानरों के हाथ …

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मत करो इस मुल्क से गद्दारियाँ पछताओगे – डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

मत करो इस मुल्क से गद्दारियाँ, पछताओगे देखकर फिर देश की दुश्वारियाँ, पछताओगे वतन से ही बेवफाई फिर वफ़ा है ही कहाँ खो के अपनी कौम की खुद्दारियाँ, पछताओगे इस अमन के गुलसितां को मत उजाड़ो महामनो! गुल-विषैले पालती पा क्यारियाँ, पछताओगे मोहब्बतों ओ मतलबों में दुश्मनी है दोस्तो! पीढ़ियों-पुस्तों …

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मित्रता – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

है खांडै री धार मित्रता। सबसूं उत्तम कार मित्रता!! रथ हांकै नै पग धो देवै। सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!! डिगतै नैं कांधो दे ढाबै। निज भुज लेवै भार मित्रता!! बढती -घटती नहीं चांद ज्यूं। सुख-दुख में इकसार मित्रता!! तन-मन-धन सब अर्पण करदे। लालच स्वारथ मार मित्रता!! छल़ -बल़ साम्हीं …

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दो गजलां -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

१ एकर म्हारै गाम आवजै। साथै थारी भाम लावजै।। चांदो तारा बंतल़ करता। हंसतो रमतो धाम पावजै।। मिरच रोटियां मन मनवारां काल़जियै रो ठाम पावजै।। स्नेह सुरां री बंशी सुणजै। तल़ खेजड़ आराम पावजै।। फोग कूमटा जूनी जाल़ां। परतख वांमे राम पावजै।। विमल़ वेकल़ू धवल़ धोरिया। कलरव मोर ललाम पावजै।। …

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मांडणा ~ डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

उर रख कोड अपार, रीझ कर त्यार रँगोली प्रिया-विष्णु पधार, बहुरि मनुहार सुबोली। सिंधुसुता सुखधाम, नाम तव है घणनामी। तोड़ अभाव तमाम, अन्न-धन देय अमामी। कवि अमर-सुतन ‘गजराज’ कह, मांडै धीवड़ माँडणा। बेटियां हूंत घर व्है बडा, ओपै मनहर आँगणा।। गाजर-रँग घेरोह, प्रथम इण ढंग पोळायो। पछै माँड वृत पीत, …

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जाती रही – गजल ~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

हाथ जब थामा उन्होंने, हड़बड़ी जाती रही। जिंदगी के जोड़ से फिर, गड़बड़ी जाती रही। ‘देख लूंगा मैं सभी को’ हम भी कहते थे कभी, आज अनुभव आ गया तो, हेंकड़ी जाती रही। जो दिलों को जोड़ती थी स्नेह बन्धन से सदा, घात का आघात खाकर, वो कड़ी जाती रही। …

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गजल – आशूदान मेहडू

“दिल लगी”  “गज़ल” मैने सीखा है जिंदगी मे, हर दिल दिल से लगाना। यही जीवन है मेरा यारो, यही मेरा फसाना। मैं पीता नहीं शराब कभी, किसी ग़म को भगाने। ना आदत है मेरी कोई नशा, युं हौश गंवाने। लेता हुं लुत्फ से जरूर, जब हो दिले दीदार दिवाना यही …

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