March 25, 2023

बलिदानी कुँ प्रताप सिंह बारहठ

✍️ राष्ट्रभक्त मित्रों, आज हम बात करेंगे महाप्रतापी महाराणा प्रताप जी की धरती पर जन्मे अद्भूत, अद्वितीय तथा त्याग व बलिदान के प्रतीक कुँवर प्रताप सिंह बारहठ जी की, जिनकी आज 127वीं जयंती एवम् 102वें बलिदान दिवस पर हमें नतमस्तक होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है । वि.सं. 1950 ज्येष्ठ शुक्ल …

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दिल्ली षड़यंत्र केस’ के बलिदानी

बलिदान दिवस:- 08.05.1915 राष्ट्रभक्त मित्रों, आज से 108 वर्ष पूर्व गुलाम भारत के दौर में रासबिहारी बोस के नेतृत्व में मास्टर अमीर चंद, अवध बिहारी, भाई बालमुकुंद, कुंवर प्रताप सिंह बारहठ व बसंत कु. बिस्वास जैसे राष्ट्रभक्तों ने 23.12.1912 को दिल्ली के चांदनी चौक में उस समय जोरदार बम धमाका …

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कुँवर प्रताप सिंह बारहठ- अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय (कवि राजन झणकली)

कुँवर प्रताप सिंह बारहठ- अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय (कवि राजन झणकली) अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय। प्रजा रक्षक प्रताप सिंह अड़तो नित नित आय।।,,,,,,1 वीर भूमि वसूंधराअंग्रेज हटाया आप। केसर सुत केहर समो पूरो वीर प्रताप।।,,,,,2 बोल जयकारा बोलियों नाह बोलियो नाम। मोभी सही हिन्द …

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अमर शहीद कुँवर प्रतापसिंह बारहठ की 126 वीं जयंती व 101 वे बलिदान दिवस पर पर कोटिशः नमन:

अमर शहीद कुँवर प्रतापसिंह बारहठ की 126 वीं जयंती व 101 वे बलिदान दिवस पर पर कोटिशः नमन: भारतीय इतिहास गगन-पटल पर चमकने वाला एक ऐसा उज्ज्वल नक्षत्र है, जिसने अपने कर्म से न सिर्फ अपने परिवार को, न सिर्फ अपने समाज और जाति को, न केवल राजस्थान को बल्कि …

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ना रात वो संगीन थी, ना रात वो रंगीन थी- जितेन्द्र चारण

  ना रात वो  संगीन थी, ना रात वो रंगीन थी। हुआ शहीद प्रताप था, ना रात वो गमगीन थी ॥   शुक्ल पक्ष की रातें थी, वहां वीर तुम्हारी बातें थी। हार गया अंग्रेज वहां पर, जीत तुम्हांरे खाते थी।।   सपनें संजो के आज़ादी के, निकला केशरी की …

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क्या लिखूं शहादत पर तेरी, वो ताकत कलम कहाँ रखती- जगदीश बिठू सिंहथल, बीकानेर

क्या लिखूं शहादत पर तेरी, वो ताकत कलम कहाँ रखती। ना तुझसी वीर प्रतापी है ना तुझ सी राष्ट्र राग भक्ति। ना तुझसा केहर पितु मिला, ना माणक माँ सी महतारी। ना जोरावर सा काका ही, ना धर उजळी सम मेवारी। वो धन्य हुवे साथी तेरे, जो बाल पने के …

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अमर शहीद प्रताप सिंह बारहठ पर रचित एक कविता….(रोवै तो रोवै भला तोडूं कोनी रीत, जननी सूं ज्यादा मनैं जन्म भौम सूं प्रीत=

अमर शहीद प्रताप सिंह बारहठ पर रचित एक कविता….   अमर वाक्य : रोवै तो रोवै भला तोडूं कोनी  रीत जननी सूं ज्यादा मनैं जन्म भौम सूं प्रीत चल रहा था जख्म और दर्द का ये सिलसिला  छातीयों में था उफनता एक भयंकर जलजला। कब तलक मांओं का क्रंदन नाद सुनते …

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अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ- प्रहलादसिंह “झोरड़ा”

“अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ” कै सोनलियै आखरां वीर रो मांडू विरद कहाणी में बो हँसतौ हँसतौ प्राण दिया  आजादी री अगवाणी में आभे में तारा ऊग रिया  रातङली पांव पसारे ही | महलां में सूते निज सुत रो  माँ माणक रूप निहारे ही | नैणां सूं नींद उचटगी ही  …

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शहीद कुंवर प्रताप सिंह जी माथै गीत चित इलोल़ – कवि वीरेन्द्र लखावत

।।दूहा।। अखियातां राखण अमर, शाहपुरौ सिरमोर। सुत केहरी परताप सो, हुऔ न हरगिज और।। गावै जस गरवौ जगत, जाण मणी मां जाण। दूध उजाल़्यौ दीकरौ, इधकौ ईश्वर आण।। जीयौ तौ हित देश रै, दटियौ खातर देश। उण प्रवीण प्रताप रौ, पुरुषार्थ है पेश।। चमक चांदणी चौक में, गरणायौ बम्ब गोल़। …

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अमर शहीद प्रताप बारहठ रै प्रति- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

हे पुण्य प्रताप! थारै जेड़ा पूत जिणण सारु जणणी नै जोवणी पड़ेला वाट जुगां जुगां तक हे पुण्य प्रताप ! केहर री थाहर मे ही रम सकै है थारै जैड़ा जोगा जसधारी माणक सी सतवंती माता री ऊजल़ी कूख सूं ही प्रगट सकै है तैं जैड़ा मोती साचोड़ा ओद उजाल़ण …

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