March 31, 2023

श्री खेतरपाळ रो छंद

श्री खेतरपाळ रो छंदरचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली। व्याधी विपदा वासदी त्रासदी ऐरू टाळ। डेरलाइ रा डोकरा खम खम खेतरपाळ।। विघन हरण वरदावतों संकट मेट सदाय। सुख संपत समपो सदा खेतरपाळ खमाय।। छंद त्रिभंगी धन धन तुझ धामां करत सलामा देवत दामा दरबारी ओटे सम आमा मेरख मामा नमत …

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इंद्र सु आशी – रचना- राजेंद्रदान (कवि-राजन)

इंद्र सु आशी सरवत तव समरण करू ब्रह्मा विष्णु महेश । मन भर बरसे मेहूडा इल पर आव।इन्द्रेश । छंद त्रिभंगी ऐरावत आळा कर किरपाला दीन दयाला दातारा । बरसे बरसाला खळके खाला नदियन नाला जलधारा । देखूं दरशाळा जळ बळ वाला हर हरशाळा हळधारी । सरगो रा राजा इंदर …

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कुँवर प्रताप सिंह बारहठ- अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय (कवि राजन झणकली)

कुँवर प्रताप सिंह बारहठ- अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय (कवि राजन झणकली) अरी दळ अंग्रेज रा जुलमां करता जाय। प्रजा रक्षक प्रताप सिंह अड़तो नित नित आय।।,,,,,,1 वीर भूमि वसूंधराअंग्रेज हटाया आप। केसर सुत केहर समो पूरो वीर प्रताप।।,,,,,2 बोल जयकारा बोलियों नाह बोलियो नाम। मोभी सही हिन्द …

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श्री आवड़ माँ रो छंद- रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली

श्री आवड़ माँ रो छंद रचना- राजेन्द्र दान विठू (कवि राजन) झणकली   सुख सागर देवण सगत तिमर टाळण तण वार। आवड़ नाम उचरन्तो आंणद आय अपार।। धन माड़ धरा धरणी आइ मात आवड़ा। जनम जग जात जरणी टाळे घात तावड़ा।। आठे शतक आठ मो आवड़ आई अम्ब। मामड़ सुता …

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श्री हनुमान जी रो छंद- राजेन्द्रदान (कवि राजन)

परम् भगत पराक्रमी हड़मत वड हाथाळ। राम नाम रटतो सदा कपी बड़ो किरपाळ।। कोप लंकापती कियो सीय लेगयो साथ। गुण राम रा गावतों पतो कियो परभात।। छंद त्रिभंगी कपी किरपाळा बहु भुजवाळा हिम्मतआळा हाथाळा नित राम रटाळा मनचित माळा सेव कराळा सुखवाळा हरदम रखवाळा भूत भजाळा चिंता मेटण चिरताळा हड़मत …

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श्री चैलक राय रो छंद- रचना- राजेन्द्रदांन विठू (कवि राजन) झणकली

श्री चैलक राय रो छंद- रचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली चैलक रायां चारणी है तूँ ही हिंगलाज। समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।। उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग चितार। टाळण घातन तावड़ा विशहथी को विचार।। छंद नाराच समत आठ सोय आठ आप मात आविया चैत्र सुदात नवम आत …

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श्री सैणी जी रो छंद- रचना- राजेन्द्रदांन विठू (कवि राजन झणकली)

श्री सैणी जी रो छंद रचना- राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन झणकली)   देवी हिंगलाज दाखतों वेदे जा वरदाय आदी सगती आखतों सेणी आ सुताय।।,,,1 चेतर आठम चानणी पावन दिन परचाय। समत तेरस छिंयालिसे आई पधारी आय।।,,,,2 वेद सुता वरदायनी मात हंसा ज महान मोगल पोती मोगना जपे नित नित …

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दशावतार- रचना- राजेन्द्रदान (कवि राजन)

कच्छप मच्छय वराह काय वामन नरसिंह वेश। किरशण राम बुद्धम कल्कि परसु राम बण पेश।।,,,,,,,1 ईशर धरया अवतार पृथ्वी मिटावण पाप। आतंक रूपी असुर नों आवों मारण आप।।,,,,,2 जन जन बिलखे जोर सूं तलफ पुकारण तोय धर अवतार धरणी पर संकट निवारण सोय।।,,,,,,3 छंद रोमकन्द भव तारण कारण आप पधारण …

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श्री शिलां षोडसी- रचना- राजेन्द्रदान (कवि राजन झणकली) बीठू

  छंद चित हिलोळ समत दीजो सगत सीलां दे उकत दातार मदद कीजो मात मीलां आप हो आधार। तो साधार जी साधार सगती आपरो साधार,,,,,,,1 शबद दे तूँ सुरसती वरणोय तो वखाण सुख सम्मत रहे सगती करेय माँ कल्याण तो कल्याण जी कल्याण करण आप हो कल्याण,,,,,,2 ढाकणियो निज धाम …

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गौरवान्वित सेना, रचना–राजेन्द्रदांन (कवि राजन) झणकली

एक एक सूं ही आगला सैनिक हिन्द सूरवीर। आतंकवादी असुर नों चुन चुन मारे चीर।। बुद्धि अपरबल बहादुरी देश प्रेम मन धरे। हद रुखाळण हिन्द री निश दिन मोत लड़े।। निश्चिंत हम सोवे नींद मों जद जागे जबरेळ। भारत माँ रा भोमिया बबर शेर बबरेळ।। छंद त्रिभंगी सीमा रा सूरा …

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