March 20, 2023

लेखणी जद कर लियो कड़पाण आजादी मिली- प्रहलादसिंह झोरड़ा

लेखणी जद कर लियो कड़पाण आजादी मिली और कविता जद हुई अगवाण आजादी मिली शंकरै सामौर, बांकीदास, सूरजमल्ल रा गीत बणियां जद अगन रा बाण आजादी मिली भरतपुर रा जाट ली जद धार आजादी मिली आऊवा ठाकुर भरी हुंकार आजादी मिली लक्ष्मी बाई, तांतिया अर वीर मंगल जद अठै होम …

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“चारण कवि” (हाँ आज बदळती दुनियां में )- प्रहलादसिंह झोरङा

“चारण कवि” हाँ आज बदळती दुनियां में  विज्ञानी सूरज ऊग गियो  तारां ज्यूं उङतौ आसमान  ओ मिनख चाँद पर पूग गियो  नूंवी तकनीक मशीनां सूं  पल पल री खबरां जाण सकां  सुख दुःख री बातां सचवादी  अखबारां छाप बखाण सकां  अजकालै पूरी आजादी  है साच झूठ नैं जांचण री  कम्प्यूटर …

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अमर सहीद (अरे कद भूले हो लाडेसर )- प्रहलादसिंह ‘झोरङा’

अमर सहीद” अरे कद भूले हो लाडेसर जुग-जुग सूं नेम घराणै रो | भारत माता रे मिंदर में जीवण री भेंट चढाणै रो || मेङी में बैठी माँ सुत नैं पालणियें नींद सुलाती ही | पीढ्यां रै गौरव री गाथा मधरै कंठा सूं गाती ही | मातृभौम हित मरण वंस …

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कण -कण में कङपाण, भरे जुगभाण जठै- प्रहलादसिंह ‘झोरङा’

कण -कण में कङपाण, भरे जुगभाण जठै | रंगरूङौ मरुदेस, मिनख रो माण जठै || धोरङियां रे बीच, धरम री धरती है | तावङिया में तपै, ठण्ड में ठरती है | रूंखा छाई रेत, रतन रंग रळती है | मिजमानां मनुवार, मुळकती करती है || माटी री मै’कार, मक्खण मिस्टाण …

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अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ- प्रहलादसिंह “झोरड़ा”

“अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ” कै सोनलियै आखरां वीर रो मांडू विरद कहाणी में बो हँसतौ हँसतौ प्राण दिया  आजादी री अगवाणी में आभे में तारा ऊग रिया  रातङली पांव पसारे ही | महलां में सूते निज सुत रो  माँ माणक रूप निहारे ही | नैणां सूं नींद उचटगी ही  …

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बूढी माँ रे काळजियै री’- प्रहलादसिंह झोरड़ा

मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के  तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक झुळक बाटड़ली जोवै, पल भर चैन न पावै बा पण तूं पाछौ आयां बीं सूं बोले मीठी वाणी के मन …

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