प्रेमावती छन्द – कवि खेतदान दोलाजी मीसण
कवि खेतदानजी मीसण ने एक प्रेमावती छन्द में कहा है कि……… कूड़ा धुड़ा सबे कबीला, ठग बाजि ठेराया है।गरज मटी तो मटेया गोठी, गरजे गीत गवाया हे।। पूरा हेतु सबे पाखंडी, मतलब हेतु मनाया है।ऐसा एक अचम्भा देखो, जादू खेल जमाया है।। कूड़े कूड़ा कपट जमाना, दुनिया में …