चारण गुण ओर चारण कवियो का कर्तव्य वर्णन - कवि खूमदान बारहठ
चारण गुण ओर चारण कवियों का कर्तव्य वर्णन कृत:- कवि श्री खूमदानजी बारहठ दोहे चारण वर्ण चतुर है, वाका ब्रद बुलंद। ह्रदय विमल परहित करण, सज्जन स्वभाव सुखन्द।।(1) सत्य वक्ता सदभावना, अधका वीर उदार। बुधवन्ता चर्चत ब्रद, वधता ज्ञान विचार।।(2) गुणवता चित गौरवता, राज सभा का रूप। रस भरी कविता …