लाख़ा जमर रौ जस (आउवा पाली) – कवि भंवरदान झणकली
लाख़ा जमर रौ जस (आउवा पाली) – कवि भंवरदान झणकली “सौल़ह सौ संवत रै बरस तियाल़िसै बीच़। ला़ख़ा ज़मर ज़ालीय़ा सतीया श्रोणित स़ीन्च” “धीरज तज जौध़ाण पत कौफ कीयौ कमधैश। मुरधर छौड़ौ माघ़णा दियौ निकाल़ौ दैश” किरनाल़ कुल़ रौ कलंक राजा,कंश बनकर कौफीयौ। निकलंक गढ़ जौधाण़ रौ नव कुंगरौ नीचौ …