April 2, 2023

नज़्मों का नासेटू – डॉ. रेवंतदान बारहठ

नज़्मों की नासेट में निकला हुआ शायरजब मांधारा होने के बादअपने आसरे को लौटता हैतो उखणकर लाता हैअनोखे अनोखे आखर ख़ूजों में भरकर लाता हैख़्यालों की खूम्भीयाँसबदों की रिनरोहि मेंरबकते हुए चुरबण के लिएचापटियों को चुगता हैछिलोछिल भरता हैदिल की दिहड़ी कोकच्ची हथकढ़ दारू से राह की अबखाइयाँ कोमुरड़कर भारा …

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सृष्टा – दृष्टा ~ डॉ. रेवंतदान बारहठ

देख रहा है सृष्टा को दृष्टा दूर अनंत अंतरिक्ष में उसे दिखाई दे रही है प्रकाश वर्ष को द्रुत गति से लांघती लपलपाती हुई एक अगन लौ भाप बनकर उड़ते हुए समंदर, हरहराकर धरती के सारे गर्तों को पाटते हुए हिमगिरि के सब उतंग शिखर, पवन उन्नचास के वेग में …

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कोरोना से करें किनारा ~ डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

जाग चुका है कोना कोना छोड़ चुके गफ़लत में खोना मिलकर सारे करें सामना, क्या कर लेगा रोग कोरोना? चिकित्सकों की बातें मानें दृढ़ होकर संयम-धनु तानें सावधान रहना और रखना, आओ मिलकर ऐसी ठानें। बचाव जहां उपचार बना है लापरवाही सख्त मना है अब भारत ने ठान लिया है, …

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रल़ियाणो राजस्थान जठै – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

राजस्थान दिवस री बधाई …. रंग बिरंगी धरा सुरंगी, जंगी है नर-नार जठै। सदियां सूं न्यारो निरवाल़ो, रल़ियाणो राजस्थान जठै। रण-हाट मंडी हर आंगणियै, कण-कण में जौहर रचिया है। ताती वै पल़की तरवारां, भड़ वीरभद्र सा नचिया है। जुग-जुग सूं रैयी रीत अठै, वचनां पर जीवण आपी है। परणै सूं …

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आसै बारठ रै चरणां में ~ डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

मधुसूदन जिण सूं रीझ्यो हो, वरदायी जिणरी वाणी ही। बचनां सूं जिणरै अमर बणी, ऊमा दे रूठी राणी ही। कोडीलै बाघै कोटड़ियै, सेवा जिण कीनी सुकवि री। मरग्या कर अमर मिताई नैं, परवाह करी नीं पदवी री। ईसर खुद जिण सूं ले आखर, पद परम ईस रो पायो हो। इळ …

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साची बात कहूँ रे दिवला ~ डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

साची बात कहूँ रे दिवला, थूं म्हारै मन भावै। दिपती जोत देख दिल हरखै, अणहद आणंद आवै। च्यारुंमेर चड़ूड़ च्यानणो, तेज तकड़बंद थारो। जुड़ियाँ नयण पलक नहं झपकै, आकर्षक उणियारो। चत्रकूंटां सड़कां चौराहां, पुर-डगरां पळकाई। परतख तेज गगन लग पूगो, साख धाक सबळाई।। ओ सब साच जगत अंगेजै, अखूं जकी …

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छात्रसंघ-निर्वाचन ~ डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

नेतृत्व का चयन प्रबंधन, की प्रामाणिक धूरी है। कैसे कह दें छात्रसंघ, निर्वाचन गैर जरूरी है। कोई भी हो तंत्र तंत्र का, अपना इक अनुशासन है अनुशासन के लिए तंत्र में अलग-अलग कुछ आसन है। आसन पर आसीन कौन हो, इसकी एक व्यवस्था है। जहाँ व्यवस्था विकृत-बाधित, हाल वहीं के खस्ता …

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बुद्धि के दाता:गणपति – ~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

हुई जब हौड़ नापे कौन जग दौड़, सारे काम धाम छोड़ बड़े भ्राता बोले ध्यान दे। मूषक सवार देख धरा को पसार, तो से पड़ेगी ना पार क्यों न खड़ी-हार मान ले। एकदंत एकबार कर ले पुनः विचार, छोड़ अहंकार याके सार को तु जान ले। ‘शक्तिसुत’ षडानन-गजानन बीच ऐसे, …

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