March 21, 2023

जय माँ इन्द्रेश

!! जय माँ इन्द्रेश !! ( “दोहा” ) बरणू किरत बीसहथी, देवी करजै दाय ! इंद्र करूँ अाराधना , सुत राखो शरणाय !! चढयो चाव माँ छंद रो, बंध न जाणु बिधान ! आखर दिज्यौे ओपता, सुत री रखजै शान !! साय करी सागर सुता, पातां री प्रतिपाल ! अम्बा …

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इंद्र बाईसा का शिखरणी छंद – हिंगऴाजदानजी कविया

आदरणीय कविया हिंगऴाजदानजी विरचित इंद्र बाईसा का यह छंद अपने आप में अनूठा व अवलोकनीय है जिसमें राजस्थानी में संस्कृतंम का सुमेल कर सृजित किया है। ।।छंद-शिखरणी।। ओऊँ तत्सत इच्छा बिरचत सुइच्छा जग बिखै। लखै दृष्टि सृष्टि करम परमेष्टि पुनि लिखै।। तुहि सर्जे पालै हनि संभाऴै उतपति। अई इन्दू अम्बा …

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इन्द्रबाई माताजी (खुड़द) का छंद – खेतदानजी मीसण

इन्द्रबाई माताजी(खुड़द) का छंद (75 साल पूर्व रचित) ।।दोहा।। आद भवानी इश्वरी, जग जाहेर जगदंब। समर्यां आवो सायजे, वड हथ करो विलंब।। चंडी तारण चारणों, भोम उतारण भार। देवी सागरदांन री, आई धर्यो अवतार।। जगत पर्चा जबरा, रूपे करनल राय। आवो बाई ईन्दरा, मरूधर री महमाया।। ।।छंद।। (तो) मरंधराय महमाय, …

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