March 25, 2023

श्री देवल माँ रो छंद, रचना -राजेन्द्रदांन (कवि राजन) झणकली

श्री देवल माँ रो छंद रचना–राजेन्द्र दांन(कवि राजन)झणकली देवल माँ वरदायनी साचा परचा सगत। सेवगोंय सुख सारणी भांगे पीड़ भगत।। भलियो जी बड भागियो जिण घर जलमी सगत। देवला नाम दाख़ियो वीरू मात तण वखत।। भलिये जी रो बड भाग आइ रमाइ आँगणे पल पल ते भरिया पाँव मात बाळक …

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चारण समाज में देवल देवी के नाम से चार लोक देवीयां अवतरित हुई थी।

चारण समाज में देवल देवी के नाम से चार लोक देवीयां अवतरित हुई थी।   उनमें प्रथम- जैसलमेर के बोगनयायी गांव के मीसण शाखा के चारण अणदा जी की पुत्री एंव करणानन्दं आणंद की बहिन थी, जिन्होने वीर पाबुजी राठौड़ को केसर कालमी घोड़ी दी थी, ईसके सम्बधं में एक …

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छँद देवलजी माँ – कविराज जूझारदान दैथा ‘मीठड़िया’

।।दूहा।। अवरळ वॉणी उर वसौ मात चण्डी मँहमाय । आखों दैवळ औपमा रूप गिरॉ सुरराय ।।१।। छँद रौमकँद सुरराय सदा अघ मेटण सॉप्रत पाय नमौ पह रीत पणॉ । रवराय देवी दुरगा वड राजत धाय दियायत खाय घणॉ ।। सैवकॉ पर साय उपाय साधारण जौत धुबाय तुँ आय जिनूं । …

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देवल माँ- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।दूहा।। माडधरा में माड़वो, पहुमी बडी पवीत। सदन भलै रै शंकरी, अवतारी अघजीत।।1 देवल भलियै दीकरी, है बीजी हिंगल़ाज। प्रगट माड परमेसरी, सगतां री सिरताज।।2 माडधरा में माड़वै, धर खारोड़ै धाट। देवी कीधा देवला, थिर दुय गामां थाट।।3 आल़स नह लावै अँकै, सब दिन करै सहाय। दासां री इम देवला, …

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गीत प्रहास साणोर देवल माँ-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।गीत प्रहास साणोर।। भलै सोढवत धरै तूं अवतरी माड भू साच मन ईहगां वाच सेवी वीरी तणै उदर रमी तूं बीसहथ देवला रूप हिंगल़ाज देवी१ साहल़ां सांभल़ै बधारै संतजन देव जस जगत मे लियै दाढा ऊजल़ा संढायच किया कुल़ ऊपनी ऊजल़ा नांनाणै किया आढा२ मोद तो ऊपरै करै इल़ माड़वो …

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मेघवाल़ होयो तो कांई ? म्है इण नैं भाई मानूं- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

माड़ रो माड़वो गाम जूनो सांसण। नैणसी, हमीर जगमालोत रो दियो लिखै तो उठै रा वासी उणस़ूं ई पुराणो मानै। इणी गांम में सोढैजी संढायच रै दो बेटा – अखोजी अर भलजी। भलजी स़ंढायच रै घरै मा वीरां री कूख सूं लोक पूज्य चारण देवी देवलजी रो जलम होयो – …

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महाशक्ति देवलजी- गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

महाशक्ति देवल जिन्होंने अपने पिता की जागीर का चौथा हिस्सा अपने पिता के सेवक जो कि बेघड़ जाति का मेघवाल था को देकर बनाया था जमींदार। आजादी के बाद, उस मेघवाल की संतति को मिला था जागीर का मुआवजा। आज भी पशिचमी राजस्थान के बेघड़, कागिया, पन्नू आदि उपशाखाओं की …

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देवल माँ

भुगळ जी देथा ने 7 बार हिंगलाज यात्रा की बिना पीठ दिखाए तब माँ प्रशन होकर बोले बेटा मांग भुगळ जी बहुत भोले थे तब कह दिया माँ मेरे घर चल माँ ने कहा जा बेटा तीसरी पीड़ी तेरे घर आऊंगी तीसरी पीड़ी में बापल जी देथा नाम के चारण …

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देवल मां सिंढायच

Previous Next श्रीदेवल माता सिंढायच    देवल माता का जन्म पिगलसी भाई ने सवंत १४४४ माघ शुद्धी चौदस के दिन बताया गया हे  लेकिन वि सं 1418 में घडसीसर तालाब की नींव इन्होने दी थी जिसका शिलालेख वहां मौजूद है। ऐसा उल्लेख जैसलमेर की ख्यात व तवारीख में आता है।अत इस …

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