कवि मधुकर छंद रोमकंद निजर
कवि मधुकर छंद रोमकंद निजर सिंढायच चन्दू सती, वर्ण हन्दू रख वात। शरणो दे ऊदल सदू, अवन बंदु अखियात।1 अखियात सुगात प्रभात उचारत, मात चन्दू वर्ण जात मही। तव आणद मात सुतात तो ऊदल, लै पक्ष भ्रात सुपात लही। माड़वै प्रख्यात सती जग मानत, गात गली देव पात गती। विखमी …