आवड़ाष्टक
।।दूहा।। विमल़ बिछायत बेकल़ू, थल़ पर थांनग थाप। मनरँगथल़ माजी मुदै, इल़ इण राजो आप।। चाल़़क मार्यो चंडका, किया खंडका काट। मनरँगथल नू मंडका, दैत दंडका दाट।। चाल़कनेची तो चवां, अनड़ेची फिर आख। महि माड़ेची मावड़ी, डूंगरेची जग दाख।। भादरिये धर भाखरां, सरां देग सुरराय। अरां विखंडण आजदिन, गिरां तुंही …