March 31, 2023

बीसहथ रा सौरठा – रामनाथ जी कविया

उभी कूंत उलाळ, भूखी तूं भैसा भखण। पग सातवै पताळ, ब्रहमंड माथौ बीसहथ।।१ सौ भैसा हुड़ लाख, हेकण छाक अरोगियां। पेट तणा तोई पाख, वाखां लागा बीसहथ।।२ थरहर अंबर थाय, धरहरती धूजै धरा, पहरंता तव पाय, वागा नेवर बीसहथ।।३ पग डूलै दिगपाळ, हाल फाळ भूलै हसत। पीड़ै नाग पताळ, बाघ …

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करुण बहतरी (द्रोपदी विनय) – श्री रामनाथजी कविया

करुण – बहतरी (द्रोपदी – विनय) श्री रामनाथजी कविया ने द्रोपदी के चीरहरण को विषय बनाकर ७२ दोहे व् सोरठे लिखे है। जो करुण बहतरी या द्रोपदी विनय के नाम से प्रसिद्ध हैं। कवि का जन्म चोखां का बास (सीकर ) में लगभग १८०८ ई में हुआ। ये बड़े ही …

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