चारण नी द्रस्टीये द्रोपदी – रचना: जोगीदान चडीया
द्रोपदी एक क्षत्रीयांणी हती, राजपूती धर्म अने युद्ध नी कळा ने जांणवावाळी समर्थ विरांगना हती, आजे जो कोई सामान्य स्त्री ना सीयळ पर कोई दुष्ट नजर करे अने आजनी सामान्य नारी जो सिंहण जेम त्राडती होय, तो एतो द्रोपदी … द्रौपदी रचना:जोगीदान चडीया कायर सामे करगरुं, ई,राजपुती नइ रीत जरी …