✍️ राष्ट्रभक्त मित्रों, आज हम बात करेंगे महाप्रतापी महाराणा प्रताप जी की धरती पर जन्मे अद्भूत, अद्वितीय तथा त्याग व बलिदान के प्रतीक कुँवर प्रताप सिंह बारहठ जी की, जिनकी आज 127वीं जयंती एवम् 102वें बलिदान दिवस पर हमें नतमस्तक होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है । वि.सं. 1950 ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तदनुसार तिथि 24 मई 1893 को उदयपुर, राजस्थान में क्रांतिकारी पिता केसरी सिंह बारहठ एवम् माता माणक कुँवर के सुपुत्र कुँवर प्रताप सिंह बारहठ ने प्राथमिक शिक्षा दयानंद स्कूल जैन बोर्डिंग से की। तत्पश्चात पिता केसरी सिंह बारहठ ने बालक प्रताप को क्रांतिकारी अर्जुन लाल सेठी जी के गोद में सौंप दिया। अर्जुन लाल सेठी जी ने बालक प्रताप को मास्टर अमीर चंद जी को सौंप दिया। अब मास्टर अमीर चंद जी ने प्रताप जी का संपर्क रासबिहारी बोस से करवाया, जिन्होंने प्रताप जी का क्रांतिकारी गतिविधियों के क्षेत्र में ज्ञानवर्धन किया। मित्रों 23 दिसंबर 1912 की लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की घटना के बाद, इस घटना से जुड़े सभी क्रांतिकारी दिल्ली से दूर चले गए।
📝 राष्ट्रभक्त साथियों जब कुँ प्रताप सिंह बारहठ दिल्ली से दूर वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में क्रांतिकारी गतिविधियों में व्यस्त थे, तभी पंजाब से साथियों के बुलावे पर जाते वक्त एक परिचित स्टेशन मास्टर द्वारा उन्हें पुलिस से पकड़वा दिया गया।
ना खून से ना शहादत से, ना सिसकियों से संतापों से, हिंदुस्तान सदा मात खाता अाया, आस्तीन के सांपों से।
📝 बरेली सेंट्रल जेल में चार्ल्स क्लीवलैंड प्रताप से उनके अन्य साथियों तथा 23.12.1912 की घटना के बारे में जानकारी लेना चाहा, किंतु प्रताप ने कई प्रलोभनों के बावजूद अपनी जुबान नहीं खोली। उन्हें उनके पिता को हजारीबाग जेल से छोड़ने, चाचा जोरवार सिंह बारहठ का वारंट रद्द करने, जागीर वापस करने तक के प्रलोभन दिए गए। चार्ल्स क्लीवलैंड उन्हें भावनात्मक रूप से तोड़ने के लिए उन्हें रेल से हजारीबाग जेल में क़ैद पिता केसरी सिंह बारहठ जी के पास ले गए, किंतु अंग्रेजों के सारे प्रयास विफल रहें। अब अंग्रेज इन पर अमानवीय जुल्मों की हदे पार करने लगे। इन्हें लगातार बिजली के झटके दिए जाते थे, जिससे इनका युवा शरीर मात्र कंकाल बनकर रह गया था। बरेली सेंट्रल जेल के पृष्ठ संख्या 106/107 के अनुसार 24 मई 1918 को मात्र 25 वर्ष की अल्पायु में इस नौजवान क्रांतिकारी ने राष्ट्र को खुली हवा में सांस दिलाने के लिए स्वयं की सांसे रोक ली।
📝 साथियों देश में राजनीतिक परिवारवाद की तो अवश्य चर्चाएं सुनते होंगे, लेकिन आप सौभगशाली तब है जब आप गुरु गोबिंद सिंह जी के, भगत सिंह जी के और अमर बलिदानी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ जी के बलिदानी परिवारवाद के विषय में जान पाएं। राष्ट्रभक्त साथियों इस बारहठ परिवार के केसरी सिंह जी, उनके भाई ज़ोरावर सिंह जी, पुत्र कुं. प्रताप सिंह जी व दामाद ईश्वरदान आशिया जी ने देश की आज़ादी के लिए जो त्याग व बलिदान किया उसके लिए हम सदैव नतमस्तक रहेंगे।