खून के निज् शौर्य से अनमिट कहानी लिख गए,गर्व से मरकर अमरता की कहानी लिख गए। देश उनकी वीरता का ऋण चुका सकता नहीं,वो माँ भारती के नाम पर अपनी जवानी लिख गए।।
आज हम बात करेंगे ऐसे रणवांकुरे की जिसके शौर्य और प्रताप को सारा राष्ट्र नमन करता है उसका नाम है ।।
🏇महाराणा प्रताप🏇
👉 मेवाड़ की वीर प्रसूता धरा कुंभलगढ़ राजस्थान में महाराणा उदयसिंह एवं महारानी जीवत कंवर के महल में 09/05/1540 को महाराणा प्रताप के रूप में एक ऐसे सूर्य का उदय हुआ जिसका आलोक सम्पूर्ण विश्व में छा गया।
👉महाराणा प्रताप उर्फ़ कीका (बचपन का नाम) अपने साहस का परिचय बचपन से ही देने लगे थे ढाल तलवार चलाने एवं बड़ी ही समझदारी से दल का गठन करने में महारत हासिल थी।
👉महाराणा उदय सिंह की प्रिय पत्नि महारानी जयवंता के साथ रानी धीरवाई नाम की एक और पत्नि थी जिसे राणा बहुत प्यार करते थे धीरवाई चाहती थी कि उसका पुत्र जगमाल उत्तराधिकारी बने लेकिन राणा उदयसिंह एवं मेवाड़ की जनता प्रताप को राजा के रूप में चाहती थी 27 वर्ष की उम्र में शासक बनते ही प्रताप को मुगलों से युद्ध करना पड़ा लेकिन अपने साहस और शौर्यबल से दुश्मन के दाँत खट्टे करके अकबर को भी घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया जो हिन्दू राजाओं में फूट डालकर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाह रहा था कम उम्र में ही राज्याभिषेक होने पर भी बड़ी कुशलता के साथ सन 1568 से 1597 तक मेवाड़ पर राज्य किया राणा वंश के 54 वे शासक के समय ही उनकी वीरता के कारण महाराणा का खिताव दिया गया।
👉महा राणा प्रताप का कद 7,5 फुट बजन 110 किलो था उनके भाले का बजन ही 81 किलो था युद्ध के दौरान पहने जाने बाले कबच आदि मिलाकर कुल बजन 280 किलो हो जाता था।
👉उदयपुर राजस्थान के संग्रहालय में आज भी उनका अवलोकन किया जा सकता है।
👉राणा ने मुगलों के आतंक से जमकर लोहा लिया सम्राट अकबर द्वारा भी कई बार आक्रमण करने पर आधीनता स्वीकार नहीं की यहाँ तक कि 1576 के विश्वप्रसिद्ध हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20000 सैनिकों के साथ मुगल सेना के 80000 सैनिकों के साथ मुकावला किया
👉यह युद्ध सिर्फ एक दिन चला जो प्रताप के बहादुर मुस्लिम सेनापति हाकिम खान सूरी के नेतृत्व में लड़ा गया जिसमे 17000 सैनिक मारे गए लेकिन राणा के घायल होने के बाद उनके विश्वास पात्र साथी शक्ति सिंह ने उन्हें शत्रुसेना से बचाया और उनके स्वामिभक्त घोड़े चेतक ने युद्ध के दौरान एक टाँग टूटने पर भी अपने स्वामी को लेकर 26 फुट गहरे नाले के पार ले जाकर अपने प्राण देकर भी उनकी जीवन रक्षा की।
👉मेवाड़ के राष्ट्रप्रेमी धनी व्यापारी एवं राणा प्रताप के मित्र भामाशाह ने सेना का मनोवल बढाने के लिए अपने खजाने खोल दिए और इतना अकूत धन दिया जिससे बीस हजार सैनिकों का बारह वर्ष तक भरण पोषण हो सके और युद्ध में कोई व्यवधान न आए।
👉युद्ध के दौरान बच्चों के साथ जंगल जंगल भटकना पड़ा यहाँ तक कि घास की रोटियाँ तक खाने के लिए विवश होना पड़ा लेकिन सिसोदिया वंश के सपूत ने अपने राष्ट्र के गौरव पर आँच नहीं आने दी और न ही मुगलों की दासता स्वीकार की ऐसे वीर पुरुष का सम्राट अकबर को भी सम्मान करना पड़ा भारतीय इतिहास में राजपूतों को सम्मान दिलाने का श्रेय है तो महाराणा प्रताप को।
👉सन 29/01/1597 को इस प्रबल प्रतापी महान शूरवीर महाराणा प्रताप की मौत पर अकबर बादशाह भी फूट फूट कर रो पड़ा था।
👉राष्ट्र के गौरव महाराणा प्रताप और उनके स्वामिभक्त घोड़े चेतक को हम सभी श्रद्धानवत होकर नमन करते हैं।