जय हिंगलाज जय हिंद सम्मानित साथियों ।
आज सामुदायिक गतिशीलता प्रशिक्षण के समापन सत्र में रा उ मा वि पोपावास में पीईईओ क्षेत्र पोपावास के SMC/SDMC मैम्बरान् और सभी स्कूलों के शिक्षकों की गरिमामय मौजूदगी में प्रशिक्षण सत्र के साथ ही स्वातन्त्र्य समर में क्रांतिकारी बारहठ त्रिमूर्ति की आहूति विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता मुझे स्वाधीनता संग्राम में क्रांतिकारी बारहठ त्रिमूर्ति के अप्रतिम शौर्य और बलिदान पर विस्तृत व्याख्यान देने का सुअवसर मिला ।
गौरतलब है कि 23 दिसम्बर 1912 को रासबिहारी बोस के निर्देशन में वीरवर ठाकुर जोरावरसिंह बारहठ ने अपने भतीजे कुँवर प्रतापसिंह बारहठ के साथ दिल्ली के चाँदनी चौक में लॉर्ड हार्डिंञ्ज पर सरेआम बम फैंका था । इसलिए कृतज्ञ राष्ट्र इस दिन को शौर्य दिवस व मेवाड़ में विजय दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाता है ।
संतोष इसी बात का है कि कार्यक्रम प्रासंगिक और सार्थक रहा । अन्य जनों के अलावा उपस्थित शिक्षकों ने भी पूरी तन्मयता और रुचि से पूरी बात सुनी और व्याख्यान के समापन उपरांत प्रश्नोत्तर द्वारा भारत के महानायक क्रांतिकारियों के सम्बन्ध में अपना ज्ञान परिमार्जित किया । हैरानी इस बात की रही कि रासबिहारी बोस जैसे महाविप्लवी के बारे में भी ज्यादातर शिक्षक साथियों को जानकारी नहीं थी । पर अमर बलिदानी कुँवर प्रतापसिंह बारहठ के अमर कथन मैं अपनी एक माँ को हँसाने के लिए हजारों माँओं को नहीं रुला सकता की जानकारी कईयों को थी ।
जय हिंद । जय हिंद के स्वाधीनता सैनानी ।
~नारायणसिंह तोलेसर