हैदराबाद स्टूडियो में “देवी स्तुति” की रिकॉर्डिंग।
कविता: नरपत आशिया वैतालिक
रचना: रामावतार दयामा जी,
गायक: पूरवा गुरु जी
नवरात्रि पर स्तुति रिलीज होगी।
देवी स्तुति
जय जग जननी! आसुर हननी! विश्व विनोदिनी! अंबा!!
जगत पालिनी देवि! दयालिनी!, ललिता! मां! भुजलंबा! !१
विपद विदारिणी! त्रिभुवन तारिणी! नेह निहारिणी! करणी!
पातक हरणी! अशरण शरणी! तारण भव जल तरणी! !२
सिंहारूढ! अगम अतिगूढा! सकल सुमंगल दानी!
वंदन बीसभुजी! वरदायिनि!, भैरवी! भवा! भवानी! !३
खंजन – नैन! सु कज्जल अंजन, भंजनि विपदा भारी!
अलख निरंजनि! कल्मष गंजनि!, रे तरूणी त्रिपुरारी!!४
परम प्रचंडी! दानव दंडिनि!, उर मणि मंडित माला!
पाशांकुश शर चाप गदा जुत!, कर धारी करवाला!!५
धूमावती भैरवी त्रिपुरा, बगला! तारा, काली!
जय जय षोडसी छिन्न मस्तिका, मातंगी मतवाली!!६
कुंडल लोल कपोल कलोलिनि, बोलनि मृदु मुख बानी!
अनुचर नरपत पर अनुग्रह कर, नमूं जोरि जुग पानी!!७

नरपतदान आशिया ‘वैतालिक’
बेहतरीन, ताजा तरीन।। शक्ति का बिना घमंड किए चारण शक्ति का प्रदर्शन और विस्तार उत्थान आप लोग इसी तरह से करते रहें।। रघुवीर दान बारेठ अजमेर
जय माताजी की हुक्म। आभार आपका, सब आप लोगो के सहयोग से व माँ भगवती के आर्शीवाद से हो रहा है जी।