बार बार अवतार ले, जग माहे जगदम्ब।
प्रकट्या भगतां पाल़वा, लूंग मात भुज लम्ब।।धरा पवित्तर वलधरा, ठावी तीरथ ठोड़।
लाज रुखाल़ो लूंग मां, जाति खड़ी हथ जोड़।।आवड़ करणी अम्बिका, इण जुग मे निज अंश।
भेज्या पाछा भोम पर, लूंगा चारण वंश।।जनम्या धरती वलदरा, असल आशिया गोत।
जठे बिराज्या मावड़ी, संग जुझार बण ज्योत।।लहरां उठे डरावणी, अरज करूं हूं आज।
अम्बे लूंग उबारजो, जात तणी मम जांज ।।हिम्मतसिह उज्ज्वल भारोड़ी