March 20, 2023

अमर शहीद कुँवर प्रतापसिंह बारहठ की 126 वीं जयंती व 101 वे बलिदान दिवस पर पर कोटिशः नमन:

अमर शहीद कुँवर प्रतापसिंह बारहठ की 126 वीं जयंती व 101 वे बलिदान दिवस पर पर कोटिशः नमन:

भारतीय इतिहास गगन-पटल पर चमकने वाला एक ऐसा उज्ज्वल नक्षत्र है, जिसने अपने कर्म से न सिर्फ अपने परिवार को, न सिर्फ अपने समाज और जाति को, न केवल राजस्थान को बल्कि पूरे भारत-वर्ष को गौरवान्वित किया है। देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुती देने वाले अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह का जन्म पिता क्रांतिकारी बारहठ केशरीसिंहजी के घर माता माणक कुँवर की उज्ज्वल कोख से वि.सं.1950 ज्येष्ठ शुक्ला नवमी तदनुसार दि. 24 मई 1893 को उदयपुर में हुआ। ओर बरेली जेल के रजिस्टर में लिखे गए पृष्ठ संख्या 106/107 के अनुसार संवत 1975 की बैसाखी पूर्णिमा तदनुसार दिनांक 24 मई सन 1918 को मात्र पच्चीस वर्ष की अल्पायु में ही अंग्रेजों की क्रूर नारकीय यातनाओं को झेलते झेलते यह क्रांतिकारी अपने 25वें जन्म दिवस पर सदा के लिए गुलामी के बंधन तोड़कर शहीद हो गया।प्रताप का महत्व सिर्फ इस लिए ही नहीं है कि वो अल्पायु में ही शहीद हो गए थे, बल्कि इसलिए भी है कि वो उस परिवार से नाता रखते हैं जिस परिवार ने अपना पूरा खानदान क्रांति की राह में झौंक दिया था। पिता केसरीसिंहजी, चाचा जोरावरसिंहजी, जीजा ईश्वरदानजी आसिया और स्वयं प्रताप। इस देश के इतिहास में ऐसे सिर्फ दो परिवार हुए है जिन्होने अपने पूरे खानदान को राष्ट्रहित पर बलिदान किया हो। एक तो दसमेश गुरु श्री गोविंदसिंहजी महाराज का परिवार और दूसरा राजस्थान का ये बारहठ परिवार।

More details click here- शहीद प्रताप सिंह बारहठ

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