छंद चित हिलोळ
समत दीजो सगत सीलां दे उकत दातार
मदद कीजो मात मीलां आप हो आधार।
तो साधार जी साधार सगती आपरो साधार,,,,,,,1
समत दीजो सगत सीलां दे उकत दातार
मदद कीजो मात मीलां आप हो आधार।
तो साधार जी साधार सगती आपरो साधार,,,,,,,1
शबद दे तूँ सुरसती वरणोय तो वखाण
सुख सम्मत रहे सगती करेय माँ कल्याण
तो कल्याण जी कल्याण करण आप हो कल्याण,,,,,,2
ढाकणियो निज धाम पावन उतर दिस मो आय
पूरण करती आश पूरी जन सेवक जाय।
तो महमाय जी महमाय कृपा आपरी महमाय,,,,,3
आप द्वी कम बीस अस्सी शुभम शुकरवार
शुदि चौदस मास श्रावण आई लियो अवतार
तो अवतार जी अवतार हिंगलाज मात रो अवतार,,,,,,4
शंकर सुता आप सगती पदमां प्रिय मात
माड़धरा बीच गाम कोडा जय हो रतनू जात
तो धनमात जी धनमात जामो आपरो धनमात,,,,,5
झणकल विठू मात जरणी कुळ ऊजालण काज
सगत नवलख संग सोभे शिलां आप सरताज
तो हिंगलाज जी हिंगलाज हिरदे रहो मा हिंगलाज,,,,,6
समत उन्नीस सौ वीश सगती जमर दियो जळाय
मेहरों रो मांन राख्यो खोखरा नों खाय
तो सुरराय जी सुरराय सीलां सगत है सुरराय,,,,,7
अवनिय कारण बळी अम्बा विदगों रख बात
थिर ढाकणियो थान थारो अंब हुई अखियात
तो प्रख्यात जी प्रख्यात परचा आपरा प्रख्यात,,,,,8
सत राखण मात सीलां विकट भई विकराल
कोप कीधो थान काटे प्रबल हुई परचाल
तो परचाल जी परचाल परचो दियो मा परचाल,,,,,,9
चमत्कार रूपम चारणी आई तूँ अखियात
पकाय हलवो हाथ पावन प्रचंड भई प्रख्यात
तो विख्यात जी विख्यात सिलां सगत है विख्यात,,,,,,10
पोर तीजे जाय पूगी जबर गढ़ जैसाण
किलोय खांडो मात कीधो घोर मच्यो घमसाण
तो अवसाण जी अवसाण मात आपरो अवसाण,,,,,,11
समरतों झट साद आवे अबखी मो उबार
शरणागत तो सुख पावे तारे भव जग तार
तो दातार जी दातार देवी जगत मो दातार,,,,,,,12
सिद्ध कारज करे सगती तुरन्त हो तैयार
जबर मेळो जलम दिन रो भगत है अणपार
तो भरमार जी भरमार सेवग आपरा भरमार,,,,13
संग रहजो मात सीलां बणे नही जद बात
पुकारतों ही आय पेली मदद कीजो मात
तो हरबात जी हरबात मात राखजो हरबात,,,,,14
कसम न खावे कोय कूड़ी सगत मेटे संताप
पलक काटे कूड़ पूरो अवश राजी आप
तो धणीयाप जी धणीयाप आछी आपरी धणीयाप,,,,15
विठू राजन कीरत वरणी आय तज अभिमान
चरणों मो शरण चावों सुकव मान सम्मान।
तो घणमान जी घण मान मात आपनो घण मान,,,,16
कर्ता कवि राजेन्द्र दान विठू झणकली