March 21, 2023

चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा द्वारा रचीत हिंगलाज माताजी नो छंद हरिगीत = हिंगला अधहारणी

चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा द्वारा रचीत हिंगलाज माताजी नो छंद हरिगीत = हिंगला अधहारणी

                    दोहो
उपजावनी खपावनी, विश्वंभरी वडराय,
जय हिंगोल जगपावनी, महादेवी महमाय
              छंद= हरिगीत
प्रणमामी मांतु प्रेम मुरती, पार्वती परमेश्वरी
शांती क्षमामय कृपासागरी, सुखप्रदा सरवेश्वरी
सेवक शीशुके दुरित दारिद्र, विघ्न दोष विदारणी
आध्यशक्ति नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (१)
सब देविंया शिरछत्र सातां, द्वीपरी राजेश्वरी
कोहला पर्वत कंदराकी, निवासी निखिलेश्वरी
आंनद वदनी आशुतुष्टा, कृपा मंगल कारणी
नकलंक रुपा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (२)
देवां शिरोमणी महादेवी, सामरथ सर्वोपरी
स्तुती करत चारण सिद्ध सुर मुनि, शेष अज शंकरहरी
परिताप हरणी प्रणत जनके, सकल कारज सारणी
ओंकार रुपा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (३)
जगधात्रि जागती ज्योति देवी, जोगमाया जोगणी
असवार नाहर तणी अणडर, अहर खळ आरोगणी
सोगणी समरथ सुरासुरथी, महिष मदमत मारणी
नवलाख रुपे नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (४)

गिरिजा ब्रह्मचारणी गौरी, चंद्रघंटा स्कंदमा
कात्यायनी पुनि कालरात्रि, क्‌षमांडा सिद्धदा
शरणागती निजदास सुरके, दैत्य दुश्मन दारणी
नवरुप दुर्गा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (५)

वृषभासनी वाघासनी, गरुडासनी गज‌आसनी
मयुरासनी महिषासनी, हंसासनी प्रेतासनी
विध विध वपु आयुध वाहन, धरमहेतु धारणी
अदभुत रुपा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (६)
ब्राह्मी माहेश्वरी वैष्णवी, कौमारी दान दर्पहा
वाराही अंद्री नारसिंघी, चंडी चामुंडा महा
सुर संत त्राता असुर हाता, अवनि भार उतारणी
अकळीत रुपा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (७)

निजदास ‘शंकरदास’ ने, आरोग्य सुख आयुष प्रदा
संपतिप्रदा सिद्धिप्रदा, शिवभक्ति दत शक्ति प्रदा
सुमति प्रदा शोभा प्रदा, कामना पूरण कारणी
नारायणी मा नमो अंबा, हिंगला अधहारणी (८)
                       छप्पय
जय हिंगोळ जगजननी, महालखमी महाकाळी
महा सरसती महादेवि, विकट सुंदर वपुवाळी
एका नैका अजब, अनंता अजा कहाणी
पृथ्वी स्वर्ग पाताळ, प्रगट त्रिभुवन पूजाणी
करजोरी दास ‘शंकर’ कहत, प्रसन होहु परमेश्वरी
सुरतरु स्वभाववाळी सुखद, जय हिंगोळ जगदीश्वरी
                        दोहो
आरछ कोउ आरति समय, स्तुति यह पढे सप्यार
ताको दु:ख त्वर मेटि है, देवी महा उदार
रचना= चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा (लींबडी राजकवि)
आ रचना चारणकवि श्री आशानंदभाइ द्वारा रचीत चारण आइ परंपरा नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे

टाइपिंग=राम बी गढवी
नविनाळ=कच्छ
फोन= 7383523606
 *वंदे सोनल मातरमं* 

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