March 31, 2023

दीधा रे विसारी बीजा देवने = चारणकवि श्री आल द्वारा रचित सोनबाइ मां नी चरज

दीधा रे विसारी बीजा देवने = चारणकवि श्री आल द्वारा रचित सोनबाइ मां नी चरज
दीधारे विसारी बीजा देवने
जगदंबा तमने किधाछे एकज याद.
भेळीया वाळी रे वीस भुजाळी रे
सोनल माडी वेलेरी लेजो अमारी संभाळ …(टेक)
ऊभो रे राख्यो तें सूरज उगतो
भेळीयाळी एक रे भर्युं नहीं पगलुं भाण
आवड अलबेली रे दिओ दु:ख ठेली रे
सोनल माडी…
हाथे रे त्रिशूळ माथे भेळीयो
शक्ति तारी साथे रे शोभे छे बेनडी सात
खोडल खमकारी रे आइयल अवतारी रे
सोनल माडी…
गाडे रे जोड्यो तें सावज गहेंकतो
लोबडीयाळी कोइ रे लोपे नहीं तारी लीह
चांपल चोराळी रे जगदंब जोराळी रे
सोनल माडी…
सिंहण रे बनीने सरधार शे’रमां
बाइ तेंतो मार्यो रे पछाडी बाकर शेख
जीवणी रुपे रे शक्ति स्वरुपे रे
सोनल माडी…
अमे रे छोरु ‘आल’ कहे आपनां
मढडावाळी तमे रे अमारा जोने मात
राजी रहेजो रे दर्शन देजो रे
सोनल माडी….
रचना = चारणकवि श्री आलाभाइ खेतशीभाइ गढवी (कवि आल)
शेखडिया-कच्छ
टाइपिंग = राम बी गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन =7383523606
आ रचना चारणकवि श्री आलाभाइ नी ‘किरतार कविता कुटिर नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारने वांचवी

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