आई थारो आसरो- खेतदान बारहठ भादरेस
आई थारो आसरो,
सुरराई सदाय।
वरदाई मां विशहथी,
मेहाई महमाय।
संकट सरणी सेवगां,
वेदां वरणी वात।
तारण तरणी हार तुं,
मोटी करणी मात।
भरणी सेवा भावना,
थलवट धरणी थंम्भ।
दरणी दुष्मन दानवां,
जय करणी जगदम्ब।
भांण ऊगन्ते भवानी,
गाऊं तव गुणगाण।
बांण सुण मम विशहथी,
देवी मां देशांण।
आस पुरो आप अंबै,
माता बारह मास।
दास तोय शरण देवी,
खेतो गढवी खास।
(खेतदान बारहठ भादरेस)