March 31, 2023

चारणी जोगमाया मढडावाळा आइ सोनबाइ रचित चरज "विंझणो"

चारणी जोगमाया मढडावाळा आइ सोनबाइ रचित चरज “विंझणो”
माडी ते तो शेनो रे गुंथ्यो छे,अावो रुडो विंझणो…
माडी ते तो केवो रे गुंथ्यो रे,अनुपम विंझणो
माडी तें तो केवो रे गुंथ्यो रे अनुपम विंझणो (२)
माडी तारे विंझणले घुमे छे ब्रह्माड चौद रे
जगदंबा तारो विंझणो….
माडी तारे विंझणले,त्रणे गुण जोने रमी रीया (२)
माडी एमां भरत चीतर छे, बहू रंग रे,
जगदंबा तारो विंझणो….
माडी तारा विंझणले,जड चेतन कापड झळहळे (२)
माडी एनी जातु ने भातु छे,अपरंपार रे
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारे विंझणले,ब्रह्मांदिक जोने भमी रीया (२)
माडी एतो करे छे सृष्टि ना रुडा काज रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारे विंझणले,चांदो ने सूरज टांकीया (२)
माडी एमां झळके छे नक्षत्र मोतीडा नी माळा रे,
जगदंबा तारो विंझणो…..
माडी तारे विंझणले,गगन सागर गाजता (२)
माडी तारे विंझणले मेघराजा मुशळधार रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारो विंझणलो,अमी नी फोरम फोरतो (२)
माडी तारा विंझणले अनोंधा रस ने रुप रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तुम तो अखंड घुमावे माया विंझणो (२)
माडी तारा रुप ना दर्शन केम नथी थाता रेे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तमे अमृत छोडीने विष आरोगता (२)
माडी अमे भुली रे बेठा शान ने भान रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारा विंझणले,वशीकरण ने कामण भर्या (२)
माडी तने विसरी बेठा,अमे मुढ बाळरे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी अमने खोळले,बेसाडी दया दाखवो (२)
माडी अमने पिवरावो,अमीरस ना पान रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारो विंझणलो,पारखे ने तुजने ओळखे (२)
माडी एनी आवण,जावण नी रीत मटी जाय रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी तारी बाळक,”सोनले” गायो विंझणो (२)
माडी अमणा अळगा, करोने उर अंधकार रे,
जोगमाया तारो विंझणो….
माडी ते तो शेनो रे गुंथ्यो रे,आवो रुडो विंझणो
माडी ते तो केवो रे गुंथ्यो रे अनुपम विंझणो
जगदंबा तारो विंझणो…..
रचना=परम पुज्य आइ सोनल मां (मढडा)*
टाइपिंग=राम बी गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन=7383523606

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