March 29, 2023

चारणकवि श्री दादबापुनी रचना = भारे परचो में भाळ्यो

चारणकवि श्री दादबापुनी रचना = भारे परचो में भाळ्यो
भारे परचो में भाळ्यो माताजी तारो
भारे परचो में भाळ्यो…
अढळक भरिया आभलानो
माडी कंचवो कामणगारो
झीणी झीणी एमां ज्योतुं झबुके
एवो भेळीयो आज तारो भाळ्यो
माताजी तारो…
अंधारी रातनी आंखलडीमां माडी
भर्यो काजळ रंंग काळो
चांदलीयानो चांदलो चोडी तें
आखाय जगने उजाळ्यो
माताजी तारो…
ऋतु वसंतना केसर चोडी माडी
त्रीकुंड भालमां ताण्यो
संध्या श्रावणनी ए सिंदुर छांटी तारो
सेंथो पुर्यो रढियाळो
माताजी तारो…
हैये हरखाती जेदी आभमां हाली
तेदी धडुक्यो ढोल एकधारो
ठम ठम मेघ नां पाणीडा ठमके
एवो घुघरी नो घमकारो
माताजी तारो…
नवरात्युंना रमवा नीसरी
साथे नवलख सथवारो
स्वांतिना मोतीनो थाळ भरीने
आसो वधाववा आव्यो
माताजी तारो…
रचना = चारणकवि श्री दादबापु
टाइपिंग = राम बी गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन – 7383523606

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