नवरात्री, सोनल बीज के बीजा घणां शुभ प्रसंगो मां अने ज्यारे चारण नी मावडीयुं घरनुं काम करती होय त्योरे गावामां आवतुं एक कच्छी भावगीत…
देव चारण जे मढडे छत्तर हेम जा रे…
जते रुपेजा जडेला कमाड…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के उतारा ओरडा रे….
आइ सोनल के मेडीयेंजा मोल…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के दातण दाडमी रे..
आइ सोनल के कढीयल काम…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के नावण कुंडीयु रे..
आइ सोनल के गंगाजळ नीर…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के भोजन लापसी रे…
अाइ सोनल के कढीयेला खीर…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के मुखवास एलची रे…
आइ सोनल के बीडेला पान…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
देव चारण के पोढण ढोलीया रे…
आइ सोनल के हिंडोळा खाट…
मुके मढडो रे नेरणो आय सोनल मातजो रे…
वृध चारण माताओ आगळ सांभळेल रचना
भुलचुक सुधारीने वांचवी
टाइपिंग=राम बी गढवी
नविनाळ कच्छ
फोन- 7383523606
वंदे सोनल मातरमं